संवादवाता
केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा दिए गए स्थानांतरण आदेश मध्य सत्र में बच्चों के भविष्य के साथ एक खिलवाड़ के सिवा कुछ भी नहीं है क्योंकि इनसे ना केवल शिक्षकों का जीवन प्रभावित होगा बल्कि मध्य सत्र में छात्रों की पढ़ाई का क्या होगा इसका कोई ख्याल नहीं रखा गया है ।स्कूली बच्चों और शिक्षकों के लिए अव्यावहारिक बताते हुए केंद्रीय विद्यालय के दोनों शिक्षक संघ इसके विरोध में आ गए हैं ,जल्दबाजी में लिए गए इस निर्णय के कारण प्रचलित तबादला मापदंडों को दरकिनार किया गया है तथा कई शिक्षक न्यायालय की शरण ले रहे हैं इससे ना सिर्फ न्यायालयों पर मुकदमों का अनावश्यक बोझ बढ़ेगा बल्कि शैक्षणिक प्रक्रिया भी बुरी तरह प्रभावित होगी। इन तबादलों का आधार यह बताया गया है कि जिन केंद्रीय विद्यालयों में नियमित स्टाफ 50% से कम है वहां उनको 50% किया जाएगा तो प्रश्न यह उठता है कि आखिर उन विद्यालयों में 50% शिक्षकों की कमी हुई कैसे? क्योंकि पिछले 5 वर्षों से केंद्रीय विद्यालय ने अपनी नियुक्ति प्रक्रिया नहीं की है इसमें 2 साल कोरोना काल है लेकिन उसके बाद के सामान्य वर्षों में भी नई नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन नहीं निकाला गया। लगातार शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए इन स्थानों से शिक्षकों को उठाकर खाली स्थानों पर भरा जा रहा है अर्थात एक जगह का वेक्यूम भरने के लिए दूसरी जगह वैक्यूम क्रिएट किया जा रहा है जो किसी भी प्रकार से व्यवहारिक और उचित नहीं है जबकि इन तबादलों का आधार रेशन लाइजेशन अर्थात व्यवहारिकता रखा गया है लेकिन इसके पीछे केंद्रीय विद्यालय संगठनकका तानाशाही पूर्ण रवैया और अपने कर्मचारियों के हितों की पूर्ण अनदेखी साफ तौर पर दिखाई दे रही है। केंद्रीय विद्यालय संगठन भारत सरकार का एक ब्रांड है विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन रिजल्ट देने के कारण इसका एक अलग स्थान है। लेकिन इसे कभी-कभी प्रयोगशाला के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है और विभिन्न प्रकार के निर्णय बिना सोचे समझे थोक दिए जाते हैं। जबकि इतना अच्छा रिजल्ट देने के पीछे इसके शिक्षकों की कड़ी मेहनत का पूरा हाथ है।
लेकिन अगर शिक्षक ही मानसिक रूप से शांत होकर के शिक्षण कार्य नहीं कर पाएगा तो ना सिर्फ शैक्षणिक कार्य बल्कि रिजल्ट बुरी तरह से प्रभावित होगा और राष्ट्र का भविष्य भी प्रभावित होगा। इन तबादलों के कारण विधवाओं, वृद्ध महिला शिक्षकों, 55 वर्ष के ऊपर के शिक्षक तथा अन्य सभी प्रकार के स्थानांतरण से जो कि अचानक हुए हैं और जिनके लिए मानसिक रूप से कोई भी तैयार नहीं था यह एक तरह का मजाक है यह उन शिक्षकों के लिए भी घातक है जिनके बच्चे बोर्ड परीक्षाओं में शामिल हो रहे हैं क्योंकि उनका भी ख्याल नहीं रखा गया है। कोरोना महामारी जैसी आपदा के समय इन्हीं शिक्षकों ने मे शिक्षण प्रक्रिया को बाधित नहीं होने दिया जबकि ऑनलाइन शिक्षण के लिए शिक्षक पूरी तरह प्रशिक्षित भी नहीं थे ना ही उनके पास संसाधन थे तब अपने व्यक्तिगत संसाधनों का प्रयोग करते हुए शैक्षणिक कार्य को बाधित नहीं होने दिया जिसका पुरस्कार उन्हें अचानक हुए इन स्थानांतरण ओं के रूप में प्राप्त हुआ है जब इतनी बड़ी आपदा देशभर में आई थी लेकिन इन तबादलों ने शिक्षकों के मनोबल को बुरी तरह तोड़ दिया है । इससे शैक्षणिक प्रक्रिया भी बुरी तरह प्रभावित होगी और यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ के सिवा कुछ भी नहीं है शिक्षकों के परिवार की व्यवहारिक कठिनाइयों को समझे बिना शिक्षकों को सैकड़ों मील दूर भेजा गया है और इतनी जल्दी उन्हें अपने स्थान से रिलीव भी कर दिया गया है जैसे कि सामान्य ट्रांसफर ना हो करके पनिशमेंट ट्रांसफर हो। देश भर के करीब 900 शिक्षक इस स्थानांतरण प्रक्रिया से प्रभावित हुए हैं जिसमें उत्तर प्रदेश के भी तकरीबन 300 से अधिक शिक्षक सम्मिलित हैं माना जाता है कि इस निर्णय के बाद न्यायालयों में प्रकरणों का बोझ बढ़ेगा क्योंकि बीच सत्र में हुए तबादलों के खिलाफ शिक्षक स्थगन के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाने लगे हैं। जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ में 16 जयपुर में 17 मैं से दो और दक्षिण भारत में भी एक को स्थगन मेल चुका है साथ ही लखनऊ, इलाहाबाद ,भोपाल, और ग्वालियर जैसे शहरों में इस संबंध में विमर्श शुरू हो गया है। विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय पर केंद्रीय विद्यालय संगठन को पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि इससे सिर्फ शैक्षणिक प्रक्रिया बाधित और प्रभावित होगी इसके अलावा कुछ भी नहीं वह भी मध्य सत्र में जो कि कहीं से भी एक तार्किक निर्णय प्रतीत नहीं होता। जब केंद्रीय विद्यालय संगठन के पास एक सर्वमान्य स्थानांतरण प्रणाली और प्रक्रिया है तो अचानक ऐसा क्या आवश्यकता आ गई थी कि इतने बड़े संख्या में शिक्षकों को स्थानांतरित किया गया यह निर्णय पूरी तरह व्यवहारिक और अतार्किक प्रतीत होता है ऐसा लगता है कि एक अव्यावहारिक आधार के प्रशासकीय निर्णय की कमी को ढकने के लिए दूसरा आ व्यवहारिक और आधार के निर्णय लिया गया है आरके के स्थानांतरण के स्थान पर नई नियुक्ति प्रक्रिया कर के विद्यार्थियों को नियमित शिक्षक प्रदान करके इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है तथा प्रभावित शिक्षकों के स्थानांतरण को वापस ले करके ना सिर्फ प्रभावित शिक्षक उनके परिवार तथा उन विद्यार्थियों को भी राहत पहुंचाई जा सकती है जिन के भविष्य से मध्य सत्र में खिलवाड़ किया गया है।: sources : KV