लॉकडाउन और कोरोना संकट के बीच बनारस के मांझी समाज ने अपनी समस्याओं को लेकर बैठक की। इस दौरान पिछले 50 दिनों से देश भर में कोरोनावायरस के चलते किए गए लॉकडाउन में नौकाओं के मरम्मत सहित अन्य बिंदुओं पर चर्चा हुई।

गौरतलब है कि बनारस में भी सभी 84 घाटों पर नौका संचालन पूरी तरह से बंद है।
जबकि हर साल माझी समाज द्वारा फरवरी से मई के बीच में अपनी पुरानी नौकाओं के मरम्मत और नई नाव के निर्माण का काम किया जाता है। लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते सैकड़ों की संख्या में आधी अधूरी बनी नौकाएं घाट पर पड़ी है इसके अलावा पुरानी जर्जर नावों के मरम्मत का काम भी बाकी है।

माझी समाज का कहना है कि अगर मई में नौकाओं के निर्माण और मरम्मत की अनुमति नहीं मिलती तो अगले महीने से बारिश के पानी से मां गंगा का जलस्तर बढ़ने लगेगा और जलस्तर बढ़ने से आधी-अधूरी बनी नौकाओं के पानी में डूब जाने का खतरा होगा जिसकी वजह से गरीब नाविकों को भारी नुक़सान उठाना पड़ सकता है।

बाढ़ के दिनों में यही नौकाएं बनारस सहित आसपास के जिलों में राहत और बचाव का काम करतीं हैं और हर साल हजारों जिंदगियां बचाती हैं। ऐसे में अगर नावों के मरम्मत की अनुमति नहीं मिलती तो मांझी समाज को परेशानी होने के साथ-साथ राहत और बचाव का कार्य भी प्रभावित होगा। माझी समाज के पदाधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इस मुद्दे पर उनका एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी से मिलकर उनको अपनी समस्याओं से अवगत कराएगा।

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