वाराणसी। प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने जंगमबाड़ी मठ में देश भर से जुटे शैव संतों की सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि काशी ही वह स्थान है जहां उत्तर और दक्षिण भारत की धर्म-संस्कृति एकाकार हो जाती है। यहां वीर शैवमहाकुंभ का आयोजन होना इस एकीकरण का प्रमाण भी है परिणाम भी। 

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वीर शैव संप्रदाय ने अपने सौ वर्षों के इतिहास में तीन सौ जगद्गुरु, पांच सौ शिवाचार्य और हजारों विद्वान सनातन संस्कृति के उत्थान के लिए समाज को दिए हैं। जैसा मुझे बताया कि 19 जनवरी की तारीख इस महाकुंभ के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। संभवत: यह पहला अवसर है जब देश की पांचों वीरशैव पीठों, आंध्रप्रदेश की श्रीशैलम्, उत्तराखंड की ऊरवी, मध्यप्रदेश कीउज्जैनी, कर्नाटक की रम्भापुरी और काशीपुरी पीठ के पीठाधीश्वर एक साथ एक स्थान पर होकर राष्ट्र की चुनौतियों और चिंताओं पर चिंतन करेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने डा. शेदे. पसारकर द्वारा संपादित पुरस्तक ‘श्रीकाशी विश्वाराध्य गुरुकुल’ का विमोचन किया। उन्होंने करीब 35 मिनट जंगमबाड़ी मठ में व्यतीत किए।

इससे पूर्व दोपहर एक बजकर 25 मिनट पर योगी आदित्यनाथ जंगमबाड़ी मठ पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने जगद्गुरु विश्वाराध्य की समाधि का पूजन किया। इसके उपरांत मठ के पीठाधीश्वर स्वामी शिवाचार्य से मुलाकात करने उनके कक्ष में गए। वीरशैव महाकुंभ के बारे में जानकारी लेने के उपरांत उनके साथ ही मठ प्रांगण में बने मंच पर पहुंचे जहां से संतों, विद्वानों और विद्यार्थियों को संबोधित किया।

देशभर में सीएए के समर्थन में होने वाली रैली की शुरुआत 18 जनवरी को जहां काशी से हुई। तो वहीं जनसभा से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जंगमबाड़ी मठ पहुँचे थे, जहां उन्होंने 38 दिवसीय वीर शैव महाकुंभ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। गौरतलब है इस कार्यक्रम में ही हिस्सा लेने 16 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आएंगे। 15 जनवरी से वीर शैव महाकुंभ का शुभारंभ हुआ है। इसके उद्घाटन समारोह में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय शामिल हुए थे

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