डॉ. रजनीकांत दत्ता
पूर्व विधायक, शहर दक्षिणी
वाराणसी ( यूपी )

विदेशी नस्ल का वर्णसंकर कौआ मेकअप करा के हंसों के झुंड में शामिल हो गया। लेकिन जब, वंशानुगत संस्कारों के कारण कांव-कांव बोलने लगा, तो उसका भेद खुल गया। सत्ता के लिए कफ़न के सौदागर उस वक्त पहचान लिये गये, जब लाशों का व्यापार करते समय उनके चेहरों पर से मुखौटा हट गया।

नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था,
तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा। इससे कई वर्ष पहले शहीद-ए-आज़म, भगत सिंह ने असेंबली में बम विस्फोट कर, अंग्रेज़ों के गुलाम देशवासियों के अंदर सोये हुए उस देशभक्त को जागृत किया कि, Yes You Can!!!
और इसके लिए इंकलाब जिंदाबाद का नारा भी दिया। द्वितीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन का यह एक बहुत बड़ा प्रेरणा सोत्र था।

1947 में सत्ता का हस्तांतरण हुआ। गोरे अंग्रेज़ों की जगह काले अंग्रेज़ आ गये और इन्होंने स्वराज्य और स्वदेशी के हमारे सपनों के भारत की नींव को चूहों के झुंड की तरह खोखला करना शुरू कर दिया। और यही नहीं, वह धरन जिसपर इस भवन की छत टिकी हुई थी, उसे भी दीमक की तरह चाट कर कमज़ोर कर दिया।

2014 में एक नयी चेतना,एक नये आत्मविश्वास और आत्मबल का भाई नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारा पुनर्जागरण हुआ। और हमें अहसास हुआ कि हम क्या थे, हमें क्या होना चाहिए था और हमें क्या बना दिया गया?

बहुदलीय संसदीय प्रजातंत्र में शामिल अधिकांश विरोधी दलों के पास देश के सार्वभौम विकास और हित के लिए, कोई मुद्दा नहीं है। वह ऐसे समय में जब देश चीन के खिलाफ कोरोना का बायोलॉजिकल वॉर लड़ रहा है और LOC और LAC पर चीन और पाकिस्तान द्वारा संयुक्त हमले की आशंका के विरुद्ध लामबंद है, तो देश के अंदर के यह विरोधी दल बजाए राष्ट्रवादी गतिविधियों के सत्ता रूढ़ दल के साथ लामबंद होने की जगह दुश्मन देशों के एजेंट और स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे हैं। जैसा यह सन 2004 से करते आये हैं!!!

अब हम देशवासियों के लिए करो या मरो का समय आ गया है। यह चीन की विस्तारवादी नीति और पाकिस्तान के गज़वा-ए-हिन्द के खिलाफ धर्मयुद्ध है। इसमें एक तरफ मक्कार और अधर्मी चीन और पाकिस्तान हैं, तो दूसरी भगवान कृष्ण के कल्कि अवतार भाई नरेंद्र मोदी। लेकिन हम भारतवासियों के पक्ष में लगभग पूरा विश्व है। हम खुद भी चीन पाकिस्तान से निपटने के लिए पूर्ण समर्थ हैं। लेकिन हमें शकुनि, मीर जाफर, जयचंद जैसे आंतरिक खतरों से सावधान रहना होगा।
अनुभवी लोग कहते हैं कि, अगर नींव बचानी है, तो उन चूहों को मार डालिये जो नींव खोखली कर रहे हैं। और अगर धरन बचानी है, तो उन दीमकों का सफाया कर दीजिए, जो धरन को अंदर ही अंदर चाट रहे हैं।

इसलिए अब समय आ गया है, तत्काल प्रभाव से वरीयता के आधार पर यह चूहे और दीमक जहाँ भी हो उन्हें हर रिसोर्सेज लगा कर चिह्नित करें। तत्पश्चात यह देश के वर्तमान और भविष्य को नुकसान न पहुंचा सकें, इसलिए इनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करें।

चूहा मारो नींव बचाओ,
दीमक मारो धरन बचाओ।
वह 1857 का स्वतंत्रा संग्राम था,
यह भगवान कृष्ण रूपी नेतृत्व में महाभारत और काले अंग्रेज़ों के खिलाफ आज़ादी का दूसरा स्वतंत्रता संग्राम है।

हम चाहे हिन्दू, मुसलमान, सिख, इसाई हों या कोई भी। वर्तमान आपातकाल में हमारी देशभक्ति सर्वोपरि होगी। जिसके लिए, तन-मन-धन-प्राण सब न्योछावर है।

भाई नरेंद्र मोदी आपके नेतृत्व में हमें पूरा विश्वास है। हम सभी आपकी तरह देश को समर्पित हैं।

जय हिंद।