अंडरवर्ल्ड डॉन और 1993 मुम्बई बम विस्फोट में वांछित दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) को लेकर कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते उसकी मौत हो गई। वह कराची के एक अस्पताल में भर्ती था। कोरोना काल में उसकी लंबी बीमारी से चल रही लड़ाई समाप्त हो गई। लेकिन अभी इस बात की कोई पुख्ता जानकारी नहीं हुई, मात्र अफवाह ही है। हालांकि इधर भारत में उससे जुड़ी कई कहानियां उभरकर सामने आने लगी हैं। इन्हीं में से एक कहानी के बारे में विरल बयानी ने आकर्षण खींचा है। उन्होंने अपने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में ऋषि कपूर और दाऊद के मुलकात की कहानी लिखी है। हालांकि इसका स्रोत ऋषि की आत्मकथा खुल्लमखुल्ला ही है।
अपनी आत्मकथा ‘खुल्लमखुल्ला’ में ऋषि कपूर ने बताया है कि कैसे उनकी और दाऊद की मुलाकात हुई थी। उन्होंने खुलासा किया था कि 1988 में जब वो और उनके एक करीबी दोस्त, आर डी बर्मन व आशा भोंसले के एक कार्यक्रम में शामिल होने दुबई गए थे, तभी उनकी मुलाकात दाऊद से हुई। किताब में बताया गया कि जब वो दुबई एयरपोर्ट पर थे तभी एक शख्स उनके पास फोन लेकर आया और उनके हाथ में थमाते हुए बोला कि दाऊद उनसे बात करेंगे. इस सब से ऋषि कपूर हैरान रह गए।
उन्होंने फोन लिया तो लाइन पर सच में दाऊद था, जिसने ऋषि कपूर का स्वागत किया और कहा कि उन्हें किसी भी तरह की जरूरत हो तो वो बता सकते हैं। बाद में दाऊद ने ऋषि को अपने घर भी बुलाया। इस निमंत्रण पर ऋषि दाऊद के यहां पहुंचे थे। वहां पहुंचने पर उनका खुद दाऊद ने गर्मजोशी से स्वागत किया। ऋषि के मुताबिक दाऊद उस दौरान सफेद इटैलियन ड्रेस में था। उसने उनसे माफी मांगने के अंदाज में कहा कि मैंने चाय पर आपको इसलिए बुलाया है, क्योंकि मैं शराब नहीं पीता।
चाय पीते हुए उन्होंने करीब चार घंटे तक बातचीत की। इस दौरान दाऊद ने ऋषि को बताया कि उसे उनकी फिल्म ‘तवायफ’ बहुत पसंद आई थी, क्योंकि उसमें ऋषि के किरदार का नाम दाऊद था।
छोटी ‘ मोटी चोरियां की, हत्या नहीं की
दाऊद ने इस दौरान ऋषि कपूर के सामने खुलासा किया कि उसने बस छोटी-मोटी चोरियां की हैं, लेकिन कभी किसी को जान से नहीं मारा. हां किसी को मरवाया जरूर है। ऋषि ने अपनी किताब में ये साफ किया कि ये मुलाकात 1993 में हुए बम ब्लास्ट के पहले हुई थी, जब वो दाऊद को भगोड़ा नहीं समझते थे।
1989 मे हुई थी दूसरी मुलाकात
दूसरी बार ऋषि कपूर की मुलाकात दाऊद से कैसे हुई। उसके बारे में भी उन्होंने “खुल्लमखुल्ला” में जिक्र किया। ये 1989 की बात है। ऋषि अपनी बीवी नीतू के साथ दुबई में शॉपिंग कर रहे थे। एक लेबनीज स्टोर में वो जूते खरीदने गए. जहां दाऊद भी मौजूद था। उसके साथ आठ बॉडीगार्ड्स थे। हाथ में मोबाइल फोन था इस बार भी दाऊद ने ऋषि को कुछ भी खरीदकर देने का ऑफर किया, लेकिन उन्होंने फिर मना कर दिया। उसके बाद दाऊद ने ऋषि को एक मोबाइल नंबर दिया, लेकिन ऋषि उसे अपना मोबाइल नंबर नहीं दे सके, क्योंकि तब तक भारत में मोबाइल फोन नहीं आए थे।
ऋषि ने आत्मकथा में लिखा, “वो मेरे लिए हमेशा बेहतर रहा और हमेशा बहुत गर्मजोशी दिखाई लेकिन साथ ही ये लिखा कि मैं दाऊद को लेकर काफी कंफ्यूजन में उसके भारत के प्रति दृष्टिकोण को लेकर था। इसके बाद सबकुछ बदलने लगा था। मुझे नहीं मालूम कि उसे कितने देश से भागने दिया था। इसके बाद मेरी न तो कभी उससे मुलाकात हुई और न ही बात।”
इस आत्मकथा के प्रकाशित होने के बाद ऋषि कपूर से दाऊद की मुलाकात के अंश पर विवाद भी हुआ। उनसे पूछा गया कि जब वो दाऊद से मिले थे तो इतने दिनों तक चुप क्यों थे। उन्होंने इस बारे में पुलिस या एजेंसियों को क्यों नहीं बताया।