बिहार के बेगूसराय सदर अस्पताल को नंबर वन अस्पताल होने का दर्जा प्राप्त है लेकिन व्यवस्था के नाम पर आलम यह है कि शव ले जाने के लिए मृतक के परिजनों को एंबुलेंस ही नहीं मिल पाती है। शुक्रवार की रात ऐसा ही नजारा देखने को मिला, जब एंबुलेंस नहीं मिलने पर एक पिता को अपनी बेटी की लाश को कंधे पर ले जाना पड़ा। उसके बाद बाइक से शव को घर ले जाना पड़ा। लेकिन इस दौरान सदर अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी तमाशबीन बने रहे।
जानकारी के अनुसार सदर प्रखंड के मस्ती फतेहपुर गांव निवासी कैलाश भगत की आठ वर्षीय पुत्री पूजा कुमारी को स्कूल में ही तेज बुखार हुआ। घर आते-आते उसकी हालत नाजुक हो गई। गांव में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध नहीं होने के कारण बच्ची को गंभीर हालत में गांव के ही एक कथित झोलाछाप डॉक्टर का सहारा लेना पड़ा। ग्रामीण चिकित्सक के द्वारा तेज बुखार को देखते हुए तत्काल ही एक इंजेक्शन बच्ची को लगा दिया गया। लेकिन वह इंजेक्शन फायदे की जगह बच्ची के मौत का कारण बन गया।
इंजेक्शन लगते ही बच्ची की तबीयत और बिगड़ने लगी। उसके बाद आनन-फानन में बच्ची को इलाज के लिए शहर के चिकित्सक को पास ले जाया गया, जहां बच्ची को इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा गया। सदर अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। सदर अस्पताल में बच्ची की मौत के बाद एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण पिता ने अपनी बेटी के शव को कंधे पर उठा लिया व घर चलने लगा। इसी दौरान किसी ने इसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया।
बच्ची का पिता एक रिक्शा चालक है। मेहनत और मजदूरी कर अपने घर का भरण पोषण करता था। तीन पुत्री के पिता कैलाश भगत को क्या पता था कि आज उसे ही स्वास्थ्य व्यवस्था का शिकार होना पड़ेगा। बच्चे की मौत से रोते बिलखते पिता को तब और फजीहत का सामना करना पड़ा जब एंबुलेंस के अभाव में अपने बच्चे के शव को ना सिर्फ कंधे से ढ़ोना पड़ा बल्कि बाइक पर बैठाकर घर लाना पड़ा। इस पूरे मामले में लाचार पिता के द्वारा झोलाछाप डॉक्टर द्वारा गलत इंजेक्शन दिए जाने के अलावा और उसे किसी से कोई शिकायत नहीं है।