भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका द्विपक्षीय टू-प्लस-टू वार्ता से पहले, अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह से कहा कि उनका देश भारत की उत्तरी सीमाओं पर चीन की ओर से किए जा रहे दुस्साहस के सामने उसकी संप्रभुता की रक्षा के लिए भारत के साथ खड़ा रहेगा। राजनाथ सिंह ने अपनी ओर से भारत और अमेरिका द्वारा उच्च तकनीक वाले हथियारों के सह-विकास और सह-उत्पादन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अमेरिकी रक्षा और एयरोस्पेस कंपनियों को भारत में उत्पादन सुविधाएं स्थापित करने के लिए मोदी सरकार की पहल का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।
लॉयड ऑस्टिन ने पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना पर भारत-प्रशांत क्षेत्र में अपने पड़ोसी देशों की संप्रभुता को चुनौती देने का प्रयास करने का आरोप लगाया। अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से कहा, ‘बीजिंग आपकी (भारत की) सीमा पर दोहरे उपयोग वाले बुनियादी ढांचे के निर्माण से लेकर दक्षिण चीन सागर में अपने गैरकानूनी दावों तक, हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा को नष्ट कर रहा है। हम आपके साथ खड़े रहेंगे, क्योंकि आप अपने संप्रभु हितों की रक्षा करते हैं।’
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक के बाद कहा कि हमारी साझेदारी (अमेरिका और भारत) हिंद-प्रशांत क्षेत्र और हिंद महासागर के इलाके में शांति, स्थिरता और विकास के लिए महत्वपूर्ण है। बिना चीन का नाम लिए उन्होंने कहा कि हमने अपने पड़ोस और हिंद महासागर क्षेत्र के हमारे आकलन को साझा किया है। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष विभाग और यूएस के रक्षा विभाग के बीच स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस एग्रीमेंट के बारे में भी जानकारी दी। रक्षा मंत्री ने भरोसा जताया कि आने वाले समय में मेडिफेंस स्पेस और डिफेंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डायलॉग के बारे में एग्रीमेंट और अन्य पहल पर भी निर्णय होंगे। इस पर अभी चर्चा हुई है और इसमें सार्थक प्रगति देखी गई। बैठक में दोनों देशों के बीच सैन्य सहभागिता का दायरा और बढ़ाने पर चर्चा हुई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुनिया की दो सबसे बड़ी हथियार निर्माता कंपनियों बोइंग और रेथियॉन के वरिष्ठ अधिकारियों से लग-अलग मुलाकात की। उन्हें दोनों कंपनियों के अधिकारियों को भारत में प्रोडक्शन यूनिट लगाने के लिए मोदी सरकार के नीतिगत पहलों का लाभ उठाने और ‘मेक इन इंडिया’ से ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ की तरफ बढ़ने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातक से हथियार निर्माता बनने की तरफ भारत बढ़ता दिख रहा है। भारत को रक्षा उद्योग का एक मजबूत केंद्र बनाने पर जोर दिया जा रहा है। हाल ही में मेक इन इंडिया को आधार बनाते हुए भारत ने 46,695 करोड़ रुपये के 9 प्रस्तावित विदेशी हथियारों के सौदे को रद्द कर दिया था। केंद्र सरकार अब बड़ी हथियार निर्माता कंपनियों को देश में अपनी इकाई खोलने के लिए प्रेरित कर रही है।