नई दिल्ली। हाल ही में प्रकाशित विश्व बैंक के रिसर्च पेपर के मुताबिक, 2011 में अति गरीबी की दर 22.5 प्रतिशत थी, तो 2015 में यह 19.1 प्रतिशत हो गई। वहीं, 2019 में अति गरीबी की दर 10 प्रतिशत रह गई। यानी 2011 से 2015 के बीच अति गरीबी की दर में 3.4 प्रतिशत की कमी आई। 2015 से 2019 के बीच अति गरीबी की दर में 9.1 प्रतिशत की गिरावट हुई, जो 2011-15 के मुकाबले 2.6 गुना अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2013-19 के बीच सबसे छोटे आकार का खेत रखने वाले किसानों की आय में भी हर साल 10 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई। मई 2014 से देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार है।

विश्व बैंक पालिसी रिसर्च पेपर में 2011 के बाद से भारत में गरीबी और असमानता का अध्ययन करने के लिए सेंटर फार मानिटरिंग द इंडियन इकोनमी (CMIE) की तरफ से सालाना कराए जाने वाले कंज्यूमर पिरामिड्स हाउसहोल्ड सर्वे का इस्तेमाल किया गया है।

गरीबी में सबसे अधिक कमी 2017-18 के दौरान आई

रिपोर्ट के मुताबिक, गरीबी दर में गिरावट सीधे तौर पर दिहाड़ी मजदूरी में बढ़ोतरी से जुड़ी है। गरीबी में सबसे अधिक कमी 2017-18 के दौरान आई। इस समय असंगठित कामगारों (कैजुअल वर्कर्स) की दिहाड़ी में सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई। 2011 से ही दिहाड़ी मजदूरी में तेजी से बढ़ोतरी होने लगी और इस वजह से गरीबी दर कम होने लगी। रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के हवाले से कहा गया है कि 1993-2004 में दिहाड़ी मजदूरी की बढ़ोतरी दर 1.8 प्रतिशत तो 2004-11 में 6.8 प्रतिशत रही।

2015-19 के बीच ग्रामीण गरीबी में 10.3 प्रतिशत की गिरावट

रिसर्च पेपर के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल (20015-19) में ग्रामीण और शहरी दोनों ही गरीबी में 2011-15 के मुकाबले अधिक कमी आई। 2011 में ग्रामीण गरीबी दर 26.3 प्रतिशत थी, जो 2015 में 21.9 प्रतिशत हो गई। 2019 में गरीबी दर 11.6 प्रतिशत रह गई। इस प्रकार 2011 से 2015 के बीच ग्रामीण गरीबी दर में 4.4 प्रतिशत की गिरावट हुई, तो 2015-19 के बीच ग्रामीण गरीबी में 10.3 प्रतिशत की गिरावट रही। वैसे ही शहरी गरीबी में 2011-15 के बीच 1.3 प्रतिशत की कमी आई। 2015-19 के बीच शहरी गरीबी में 6.6 प्रतिशत की गिरावट रही।

मजदूरी बढ़ी तो घटी गरीबी

-1993-2004 में धीमी गति से दिहाड़ी मजदूरी बढ़ने से प्रति वर्ष 0.7 प्रतिशत की दर से गरीबी घटी।

-2004-11 में दिहाड़ी मजदूरी अधिक बढ़ने से गरीबी प्रति वर्ष 2.5 प्रतिशत की दर से कम हुई।

-2017-18 में दिहाड़ी मजदूरी में बढ़ोतरी से गरीबी में 3.2 प्रतिशत की दर से कमी आई।