अपनी तरह के इस अनूठे आयोजन में सिनेमा जगत की प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया और सिनेमा, आज़ादी की लड़ाई में सिनेमा के योगदान व सिनेमा से जुड़े अन्य रुचिकर विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया

मुम्बई, 13 अप्रैल, 2022: विश्वभर में भारतीय कला व भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में जुटी प्रतिष्ठित संस्था संस्कार भारती ने एकेडमी ऑफ़ थिएटर आर्ट्स, मुम्बई विश्वविद्यालय और IGNCA के साझा प्रयासों से भारत की आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ और देश की स्वतंत्रता में भारतीय सिनेमा के योगदान का जश्न मना रही है। इस संबंध में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी ‘सिने टॉकीज़ – आज़ादी का अमृत महोत्सव’ की शुरुआत सिनेमा से जुड़ी कई सुनहरी यादों और रुचिकर संवादों के साथ हुई।

उल्लेखनीय है कि ‘सिने‌ टॉकीज़ 2022’ के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय संस्कृति राज्य व संसदीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज कराई। उनके अलावा इस समारोह के पहले दिन पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त अभिनेत्री श्रीमती आशा पारेख, जाने-माने लेखक-निर्देशक व पद्मश्री से सम्मानित श्री चंद्रप्रकाश द्विवेदी, IGNCA के सदस्य सचिव श्री सच्चिदानंद जोशी, मुम्बई विश्वविद्यालय के उप-कुलपति व संस्कार भारती के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर डॉ. सुहास पेडणेकर और श्री वासुदेव कामंथ जैसी गणमान्य हस्तियां ने भी इस आयोजन में सहभाग लिया।

उद्घाटन कार्यक्रम के अवसर पर केंद्रीय संस्कृति राज्य व संसदीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, “हमें आज़ादी के नायकों के बलिदान, देशभक्ति से ओत-प्रोत सिनेमा और वर्षों तक उसके गहन प्रभावों को जीवित रखनेवाले जज़्बे को कभी नहीं भूलना चाहिए। हम सब जानते हैं कि पिछले 25 वर्षों में क्या कुछ हुआ है और उस दिशा में हम कार्यरत भी हैं। लेकिन हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हमें अपने भविष्य और आगे की दिशा के बारे में पता हो। ऐसे में मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में लाल किले पर दिये गये भाषण को उद्धृत करना चाहूंगा – ‘अब हमारे देश का समय आ गया है, भारत का महत्वपूर्ण समय, मूल्यवान समय आ गया है। आओ, मिलकर देश को दुनिया के मानचित्र पर एक ऐसा स्थान दिलाएं जिससे हर देशवासी का सिर गर्व से ऊंचा हो जाए।’ इसी विचार को आगे ले जाते हुए हमें देश की आज़ादी के लिए लड़नेवाले व उस आजादी को अक्षुण्ण बनाये रखनेवाले अपने तमाम नायकों के बलिदान की स्मृतियों को याद रखना होगा।”

श्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहा, “भारती की आज़ादी के 75वें वर्ष के उत्सव के आयोजन के लिए एक सशक्त मंच का निर्माण करने के लिए मैं संस्कार भारती से जुड़े सभी लोगों की प्रशंसा करता हूं। आज़ादी के ऐसे ही तमाम गुमनाम सैनानियों की बदौलत ही हम आज स्वतंत्रता का लुत्फ़ उठा पा रहे हैं। इस आयोजन के माध्यम से हमारे देश की स्वतंत्रता की गौरवशाली यात्रा निश्चित रूप से रौशन होने जा रही है। आज यकीनन, हमारे देश की आज़ादी का अमृत महोत्सव है।”

इस अनूठे समारोह में सम्मिलित हुए लोगों को ‘द एंसाइक्लोपिडिया ऑन भारतीय सिनेमा’ के विमोचन का साक्षी बनने का भी अवसर मिला। इस विशेष अवसर पर सिने टॉकीज़ स्मारिका का भी विशेष रूप से विमोचन किया गया।

पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित श्रीमती आशा पारेख ने उद्घाटन समारोह में अपने वक्तव्य में कहा, “आज हम सभी सिने टॉकीज़ 2022 का उत्सव मिलकर मना रहे हैं जिसके लिए मैं फ़िल्म इंडस्ट्री के अपने सभी साथियों का आभार प्रकट करना चाहती हूं। मैं संस्कार भारती से जुड़े सभी लोगों की प्रशंसा करते हुए कहना चाहूंगी कि उन्होंने इतनी सुंदर परिकल्पना को एक भव्य उत्सव में बदल दिया जिसके लिए वे सभी बधाई पात्र हैं। हमारा देश विभिन्न भाषाओं, कलाओं, संस्कृतियों, समाजों और लोक कलाओं से ताने-बाने से बना है। ऐसे में संस्कार भारती द्वारा देश के आम लोगों में जागरुकता लाने का कार्य बेहद प्रशंसनीय है। अगर मैं पुराने और अपने दौर के सिनेमा का उल्लेख करूं तो मुझे कहना होगा कि उस दौर का सिनेमा मनोरंजन केंद्रित हुआ करता था। लेकिन आज की फ़िल्मों में भाईचारे और सकारात्मक चरित्रों की बात की जाती है। सिनेमा ने हमारे बीच मौजूद सामाजिक अवरोधों को दूर करने में बेहद अहम भूमिका निभाई है।”

श्रीमती आशा पारेख ने आगे कहा, “मेरा मानना है कि अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए आतुर देश के तमाम प्रतिभावान लोगों को सिनेमा के माध्यम से आगे लाना‌ चाहिए और उन्हें अपनी प्रतिभा को दिखाने का पूरा अवसर भी दिया जाना चाहिए। मुझे इस बात का पूरा भरोसा है कि संस्कार भारती और आज यहां मौजूद तमाम गणमान्य लोगों के सहयोग से इस लक्ष्य को भविष्य में हासिल कर लिया जाएगा। सिने टॉकीज़ सिनेमा को बढ़ावा देने के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है और यह संस्था अपने कार्यों से लोगों को प्रभावित करने की दिशा में यूं ही आगे बढ़ती रहे, यही मेरी शुभकामना। मैं इस आयोजन का हिस्सा बनकर बहुत ख़ुश हूं और मैं संगोष्ठी के दौरान आयोजित सभी सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए अपनी शुभकामनाएं देती हूं.”

उल्लेखीय है कि ‘सिने टॉकीज़ 2022’ द्वारा आयोजित अनूठी संगोष्ठी के माध्यम से भारतीय फ़िल्म उद्योग का देश के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और सिनेमा‌ में उसके गहरे प्रभाव पर गहन ढंग से विचार-विमर्श किया गया। इस संगोष्ठी की शुरुआत आयोजन के समन्वयक श्री अरुण शेखर के प्रभावी संबोधन से हुई। इसके बाद डॉ. प्रदीप केंचानारू ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेनेवाले तमाम फ़िल्मकारों को लेकर परस्पर संवाद से लैस एक प्रभावी प्रस्तुति दी। एक लघु अंतराल के बाद, भारतीय फ़िल्मों के जनक के रूप में जाने जानेवाले दादासाहेब फ़ाल्के पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसका सूत्र संचालन श्री राकेश मित्तल ने किया। इस परिचर्चा में दादासाहेब फ़ाल्के द्वारा सिनेमा बनाने के पीछे की प्रेरणा, सिनेमा को लेकर उनकी दूरद्रष्टि और उनकी कला पर विस्तार से चर्चा की गयी। इस विशेष परिचर्चा में श्री परेश मोकाक्षी, श्री कमल स्वरूप और श्री एम. के. राघवेंद्र ने भाग लेकर अपने-अपने विचार रखे।

दूसरी संगोष्ठी का सूत्र संचालन श्रीमती रूना आशीष भुतदा ने किया। इस सत्र में श्री ए. के. रवींद्रन, श्री मनोज मुंतशिर और श्री सुबोध भावे ने पैनलिस्ट के रूप में हिस्सा लेते हुए भारतीय सिनेमा में देशभक्ति की भावना पर चर्चा की।

इस दो दिवसीय सेमिनार में भारतीय सिनेमा के गौरवशाली इतिहास, उसकी उपलब्धियों और देश के प्रति भारतीय सिनेमा के योगदान पर परिचर्चा में तमाम हस्तियों ने अपने-विचार रखे।संगोष्ठी में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिनेमा के अमूल्य योगदान को भी दृश्य-श्राव्य माध्यम से रेखांकित किया गया।

संस्कार भारती द्वारा आयोजित ‘सिने टॉकीज़ 2022’ के दो दिवसीय समारोह में विभिन्न क्षेत्र से संबंध रखनेवाली गणमान्य हस्तियां, भारतीय सिनेमा की दुनिया से जुड़े तमाम प्रतिष्ठित लोग, देश के नामचीन फ़िल्मकार, सिनेमा के छात्र, समालोचक और सिनेमा-प्रेमी बड़े ही उत्साह से भाग ले रहे हैं। इस दो दिवसीय आयोजन में 300 से अधिक प्रतिनिधी भाग लेंगे जो भारत की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर पर आयोजित इस अनूठे समारोह के साक्षी बनेंगे।

उद्घाटन दिवस की शाम का रंगारंग समापन बड़े ही श्रवणीय ढंग से हुआ। जाने-माने संगीतज्ञ कौशल इनामदार और कमलेश भडकमकर ने अपने स्वतंत्र गायन के माध्यम से वहां उपस्थित तमाम लोगों का मन मोह लिया।

संस्कार भारती से संबंधित जानकारी:

संस्कार भारतीय एक ऐसा प्रतिष्ठित संगठन है जो पिछले 50 वर्षों से भारतीय कला, ललित कला और संस्कृति को बढ़ावा देने और उन्हें प्रचारित-प्रसारित करने के लिए पूरी तरह से समर्पित है। उल्लेखनीय है कि संस्कार भारती से जुड़ी गणमान्य हस्तियों में
भाऊराव देवर्स, हरिभाई वाकणकर, नानाजी देशमुख, माधवराव देवाले और योगेद्र जैसे प्रबुद्ध नामों का समावेश है।