वाराणसी। चीन के मकाउ में 9 एवं 10 नवंबर को आयोजित अंतरराष्ट्रीय इंडोर तीरंदाजी प्रतियोगिता ग्लोबल आर्चरी एलियंस यूथ इनडोर आर्चरी वर्ल्ड कप में वाराणसी के 6 वर्षीय अर्जुन सिंह ने अचूक लक्ष्य भेद से रजत पदक जीतकर भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है। क्वार्टर फाइनल एवं फाइनल में अपनी उम्र से दुगनी उम्र के खिलाड़ियों को पराजित करते हुए अर्जुन ने रजत पदक हासिल किया।जिससे वाराणसी सहित पूरे देश को गौरवान्वित किया है।

यह हैं वाराणसी के आदित्य सिंह उर्फ अर्जुन। इनके नाम के साथ मां बाप ने अर्जुन यूं ही नहीं लगाया है।बल्कि इसके पीछे इनकी काबलियत है। कद काठी में अर्जुन भले ही छोटे छोटे हो लेकिन इनका हौसला बड़े बड़े को मात दे देता है। इनकी कमान से निकला तीर कभी चूकता नहीं है। 6 साल के अर्जुन ने चीन में आयोजित वर्ल्ड कप तीरंदाजी में रजत पदक जीतकर भारत का नाम रौशन किया है।अर्जुन का सपना है कि ओलम्पिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल लाये और भारत का नाम रोशन कर।

अर्जुन सिर्फ 3 साल की उम्र से ही तीरंदाजी सीख रहे हैं। उनके तीरंदाज बनने के पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है। अर्जुन बताते हैं कि बाहुबली फ़िल्म देखने के बाद उन्होंने तीरंदाज बनने का फैसला किया।

कहते है न पूत के पांव पालने में ही समझ में आ जाते हैं। ऐसा ही कुछ अर्जुन के साथ भी है। अर्जुन की मां शशिकला कहती हैं कि अपनी जिद और जुनून की बदौलत अर्जुन तीरंदाज बना है। चाहे प्रचंड ठंडी हो या गर्मी चाहे बरसात अर्जुन कभी ट्रेनिंग मिस नहीं करता।

अर्जुन ने चीन के मकाऊ में आर्चरी वर्ल्ड कप में सिल्वर मेडल जीत कर न सिर्फ वाराणसी का नाम रोशन किया है बल्कि पूरे भारत का मान बढ़ाया है।अब देखना ये होगा कि आने वाले दिनों में अर्जुन क्या क्या कीर्तिमान अपने नाम करते है।

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