अनिता चौधरी

राजनीतिक संपादक

सुप्रीम कोर्ट ने 134 साल पुराने राममंदिर -बाबरी मस्जिद विवाद मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 1045 पृष्ठों मे अपना यह सर्वसम्मत फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी विवादित जमीन हिन्दू पक्ष को दी जाएगी क्योंकि मुस्लिम पक्ष इस पर अपना दावा सिद्ध नही कर पाया।

सभी पांचो जजों के एकमत से दिये फैसले को सुनाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने साफ कर दिया कि मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन अलग से मुस्लिम समाज को दी जाएगी। इस सम्बंध में केंद्र सरकार अगले तीन माह में एक योजना बनाएगी जिसके तहत मस्जिद और मंदिर निर्माण के तौर तरीके निर्धारित किये जायेंगे।

इस निर्णय में स्पष्ट हो गया कि अब ऊक्त जमीन पर मंदिर का निर्माण होगा जो एक ट्रस्ट के अधीन होगा। राम जन्मभूमि न्यास का दावा माननीय कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

-चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि फैसला सुनाने से पूर्व 40 दिन तक सुनवाई हुई

सभी फैक्ट्स पर गौर किया गया

सुप्रीम कोर्ट देश का फाइनल आर्बिट्रेटर है

मुस्लिम पक्ष ने बाबरी मस्जिद के बारे में कहा है कि बाबर ने इसका निर्माण कराया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ए एस आई एक्सपर्ट अथॉरिटी है

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने एएसआई की रिपोर्ट को देखकर अपना स्टैंड बदल लिया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा सेवा से संबंधित अपना दावा सिद्ध नहीं कर सका

कोर्ट ने कहा कि एएसआई एक एक्सपोर्ट होता है इसलिए हम उसकी रिपोर्ट को नकार नहीं सकते

सुप्रीम कोर्ट ने कहा की देश की सर्वोच्च अदालत का अधिकार है और जिम्मेदारी है कि वह देश के सभी धर्मों की पूजा पद्धति और उसके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित कराए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून को सभी की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी है

कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा का दावा मेंटेनेबल नहीं है

कोर्ट ने कहा कि आर्कलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने कहा है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है

यह भी कहा गया है कि भगवान राम का जन्म स्थान अयोध्या है इस पर कोई विवाद नहीं है

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हमारी जिम्मेदारी संतुलन बनाए रखने की है।

कोर्ट ने कहा कि हिंदू कहते हैं कि यहां राम का जन्म हुआ था जबकि मुस्लिम पक्ष का यह कहना है कि यहां बाबरी मस्जिद है।

कोर्ट ने कहा की यह दोनों पक्षों की आस्था का सवाल है इसलिए दोनों पक्षों को गंभीरता से सुनने समझने और उस पर विचार करने के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्रिटिश इतिहासकारो की रिपोर्ट और उनके द्वारा प्रस्तुत तथ्य इस प्रकार के केस में निर्णय लेने के लिए आधार नहीं बन सकते।

कोर्ट ने कहा कि कि हमारे पास इस बात के सुबूत हैं कि मुस्लिम समाज हर शुक्रवार को वहां नमाज अदा करते थे।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हमारे पास इस बात के भी सुबूत हैं कि हिंदू समाज वहां पूजा करते थे।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बात के भी सुबूत हैं कि 1949 तक वहां मुस्लिम समाज नमाज अता करते रहे हैं और उन्होंने कभी भी बाबरी मस्जिद न तो खाली की और न ही उसे असुरक्षित घोषित किया।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बात के भी सुबूत हैं कि इनर कोर्टयार्ड में हिंदू समाज पूजा करते रहे हैं जबकि दूसरी तरफ मुस्लिम समाज भी नमाज अदा करते रहे हैं

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हिंदू पक्ष हमेशा यह मानता रहा है कि इनर कोर्ट यार्ड ही भगवान राम का जन्म स्थान है और उसको लेकर मुस्लिम समाज की ओर से कोई भी सुबूत नहीं रखा गया है

सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि बाबरी मस्जिद को मुस्लिम समाज ने खाली नहीं किया बल्कि 6 दिसंबर 1992 को इसे गिराया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद को गिराना गैरकानूनी था।

कोर्ट ने यह भी कहा है कि निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से किए गए दावे समय सीमा में फिट नहीं बैठते।

कोर्ट ने यह भी कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड यह साबित नहीं कर पाया कि उन्होंने बिना रुकावट के यहां नमाज अता की।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कि हिंदू पक्ष ने जो कहा है कि आउटर कोर्टयार्ड में उनकी पूजा के स्थान हैं वह निर्विवाद है

कोर्ट ने यह भी कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में ने तीन भागों में जिस तरह से यहां के भूभाग को बांटा यह पूरी तरह गलत था।

सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम समाज को दूसरी जगह जमीन दी जाए।

कोर्ट ने यह कहा कि निर्मोही अखाड़ा के सूट को निरस्त किया जाता है जबकि मुस्लिम समाज के सूट को लिमिटेशन में माना गया।

रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र सरकार अगले तीन महीने में एक योजना तैयार करेगी जिसके आधार पर अलग जमीन पर मस्जिद का निर्माण कराया जाएगा और सुन्नी वक्फ बोर्ड उस जमीन पर मस्जिद बनाने के लिए स्वच्छंद होंगा जबकि दूसरी तरफ मंदिर निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी

कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार स्कीम बनाएगी जिसके तहत सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन मस्जिद के निर्माण के लिए आवंटित की जाएगी

बाहर की इनर कोर्टयार्ड की जमीन के लिए एक ट्रस्ट का निर्माण किया जाएगा और इसको लेकर केंद्र सरकार के पास अधिकार होगा कि किस प्रकार से मंदिर का निर्माण किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि मुस्लिम वक्फ बोर्ड उस विवादित जमीन पर अपना दावा सिद्ध नहीं कर पाया इसलिए उन्हें अलग स्थान पर 5 एकड़ जमीन मस्जिद के निर्माण के लिए आवंटित की जाएगी और इसको लेकर केंद्र सरकार अगले 3 माह में यह तय करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि सारी विवादित जमीन हिंदू पक्ष को दी जाएगी जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड उस जमीन पर अपना मालिकाना हक साबित नहीं कर पाया। हालांकि सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से लगातार उस विवादित जमीन को पर अपना हक जताया जाता रहा है

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