हैदराबाद में 27 वर्षीय पशु चिकित्सक की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में इंसाफ के लिये बीते चार दिनों के अंदर चेंज.ओआरजी पर देश भर से करीब 15 लाख से ज्यादा लोगों ने याचिका पर दस्तखत किये।
चेंज.ओआरजी के एक बयान के मुताबिक 29 नवंबर को शुरू की गई इस याचिका के समर्थन में 24 घंटे के अंदर ही तीन लाख लोगों ने दस्तखत किये और इसे लगातार समर्थन मिल रहा है।
बयान में कहा गया, “चार दिनों के अंदर विरोध और गुस्सा दर्ज कराने के लिये नागरिकों द्वारा 500 याचिकाएं शुरू की गईं और उसपर आठ लाख से ज्यादा लोगों ने दस्तखत किये। मुंबई के पशु चिकित्सक डॉ. शांतनु कोडापे ने इसे शुरू किया था।”
दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल देश में बढ़ती बलात्कार की घटनाओं के खिलाफ मंगलवार को जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल बैठीं।
इससे पहले सुबह मालीवाल ने पुलिस पर उन्हें जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाया था।
हैदराबाद में पशुचिकित्सक के साथ बलात्कार एवं हत्या और राजस्थान में छह वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार की घटना के खिलाफ मालीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख आरोपियों को दोषसिद्धि के छह महीने के अंदर फांसी देने की भी मांग की थी।
डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष ने जंतर-मंतर पर कहा, ‘‘ मेरी प्रधानमंत्री से यह मांग है कि बलात्कार पीड़ितों को फांसी सजा दी जाए। हैदराबाद मामले के आरोपियों को सूली पर लटका देना चाहिए। पिछले साल, मैंने प्रदर्शन किया था और 10 दिन के अंदर सरकार ने नाबालिगों को छह महीने के भीतर फांसी की सजा देने का कानून बनाया, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ अब, मैं चाहती हूं कि सरकार यह कानून लागू करें। मैं कड़ी और त्वरित सजा देने की मांग कर रही हूं। हमें कानून के बेहतर क्रियान्वयन के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की आवश्यकता है। दिल्ली में 66,000 पुलिस अधिकारियों और 45 त्वरित अदालतों की कमी है।’’
इस बीच, दिल्ली पुलिस ने मालीवाल के उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पुलिस उन्हें प्रदर्शन की अनुमति नहीं दे रही है।
मामले को स्पष्ट करने की मांग करते हुए पुलिस ने कहा कि डीसीडब्ल्यू को पत्र लिख प्रदर्शन का विवरण, परिवहन के साधन, माइक्रोफोन के प्रबंध और इसमें शामिल होने वाले प्रदर्शनकारियों की संख्या के संबंध में जानकारी मांगी है। साथ ही उस हलफनामे की एक प्रति भी मांगी है जिसे उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार भरा जाना होता है।
उन्होंने बताया कि विवरण का इंतजार किया जा रहा है।