प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्वगुरू बन जाये, इस मंगलकामना के साथ सोमवार को प्रधानमंत्री के 69 वें जन्मदिवस के पूर्व संध्या पर गाजे बाजे के साथ संकट मोचन मन्दिर में बजरंगबली को सवा किलो स्वर्ण मुकुट अर्पण किया गया। जय श्री राम के गगनभेदी उद्घोष के बीच कार्यक्रम संयोजक वरिष्ठ पत्रकार डाॅ. अरविन्द सिंह ने मन्दिर के महन्त प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र के सानिध्य में मन्दिर के मुख्य पुजारी को प्रदान किया। तत्पश्चात पूरे विधि विधान से स्वर्ण मुकुट का पूजन करने के उपरान्त संकटमोचन हनुमान जी को मुकुट धारण कराकर दर्शनार्थ पट खोल दिया गया। इस दौरान मन्दिर परिसर में हजारो की संख्या में उपस्थित श्रद्धालु हनुमान जी के माथे पर अर्पित मुकुट की एक झलक पाने को बेकरार दिखे। इस अवसर पर हनुमान जी का भव्य श्रृंगार भी किया गया था। झाॅकी देख श्रद्धालु निहाल होते रहे। इस मौके पर प्रधानमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री डाॅ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के पश्चात मन्दिर में उपस्थित भक्तो में प्रसाद भी बाॅटा गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को महन्त प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्र ने श्रद्धालुओं को संदेश में कहा कि हनुमत कृपा से ही विश्व कल्याण संभव है। हनुमान जी को समर्पित किये गये इस मुकुट के पीछे भी हनुमत इच्छा ही समझना चाहिए।
कार्यक्रम संयोजक डाॅ. अरविन्द सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूरे देश को उम्मीद है कि उनके कुशल नेतृत्व में देश फिर से दुनिया में सिरमौर होगा और विश्वगुरू कहलायेगा। इसी उद्देश्य से उन्होंने अक्षय तृतीया के दिन नरेन्द्र मोदी के फिर से प्रधानमंत्री बनने की कामना की थी, जिसके पूर्ण होने पर वह उनके जन्मदिवस के अवसर पर हनुमान जी को यह स्वर्ण मुकुट अर्पित कर रहे है। उन्होंने यह भी बताया कि यह मुकुट बीते दिनों दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा स्पर्श करा कर हनुमान जी को अर्पित की जा रही है।
धर्मसंघ में स्वर्ण मुकुट का हुआ पूजन
संकट मोचन हनुमान जी को स्वर्ण मुकुट अर्पित करने से पूर्व दुर्गाकुण्ड स्थित धर्मसंघ शिक्षा मण्डल के करपात्र सभागार में मुकुट का विधिविधान पूर्वक पूजन किया गया। सायंकाल 4 बजे धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रम्हचारी जी महाराज के सानिध्य में आचार्य पं0 श्रीधर पाण्डेय के आचार्यत्व में 11 वैदिक भूदेवों ने स्वर्णमुकुट का षोडशोपचार विधि से पूजन कर उसे शुद्ध किया। सबसे पहले मुख्य यजमान डाॅ. अरविन्द सिंह द्वारा गौरी गणेश का पूजन किया गया, उसके बाद स्वर्णमुकुट का पूजन किया गया। इस दौरान सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया। इस अवसर पर विभिन्न धर्माववलंबियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। सिख धर्म के गुरूबाग स्थित गुरूद्वारा के मुख्य ग्रन्थी सुखदेव सिंह, जैन धर्म की साध्वी प.पू.दिव्य पूर्ण श्रीजी म.सा. एवं शाश्वत पूर्णा श्रीजी म.सा., बौद्ध धर्म के के.सी. सुमेध थेरो प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित रहे। पूजन कार्यक्रम में प्रो. बी.एम. शुक्ला, डाॅ. अन्नपूर्णा शुक्ला, प्रो. रामचन्द्र पाण्डेय, काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो. रामयत्न शुक्ल, चन्द्रमौली उपाध्याय, जगजीतन पाण्डेय आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे। पूजन डाॅ. अरविन्द सिंह ने साविधि सम्पन्न कराई।
शोभायात्रा संग हनुमत दरबार पहुॅचा स्वर्ण मुकुट
स्वर्ण मुकुट पूजन के उपरान्त भव्य विशाल शोभायात्रा के साथ हनुमत दरबार लाया गया। बैन्ड बाजे की धुन पर हजारो की संख्या में भक्तों ने नाचते गाते संकट मोचन पहुॅच कर स्वर्ण मुकुट अर्पण किया। शोभयात्रा में सबसे आगे मोटरसाइकिल सवार धर्म ध्वजा लिए हुए युवाओं का दल चल रहा था, उसके बाद 21 डमरू वादकों का दल डमरू की डम डम से समूचा माहौल गूंजित करते हुए चल रहा था। तत्पश्चात बड़ी संख्या में साधु सन्यासी, बटुक राम नाम जपते हुए चल रहे थे। उनके पीछे भक्तों का कारवां रहा जिसमें सैकड़ो की संख्या में पुरूष, महिला एवं बच्चे बैन्ड बाजे से रघुपति राघव राजा राम की धुन पर भक्ति रस से सराबोर हो चल रहे थे। उसके बाद बग्घियों पर विभिन्न झाॅकीयाॅ सजीव रही। सबसे आगे भारत माता की झाॅकी, उसके बाद श्रीराम दरबार तथा अन्त में शंकर पार्वती की दिव्य झांकी सजायी गयी थी। सबसे पीछे एक विशालकाय ट्रक पर फूलो से सुसज्जित पालकी पर स्वर्ण मुकुट लोगो के दर्शनार्थ रखा गया था। रास्ते में जगह जगह श्रद्धालुओ ने स्वर्ण मुकुट का आरती कर पूजन किया। शोभायात्रा में शामिल श्रद्धालु रामनामी ओढ़े भगवत संर्कीतन करते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा में मुख्य रूप से राजेन्द्र कुमार दूबे, स्नेह रंजन, विजय विनीत, अनिल अग्रवाल, ओपी दूबे, केदारनाथ सिंह, अनिल जायसवाल, सतीश चन्द्र मिश्र आदि शामिल रहे।