विशेष संवाददाता

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ” श्री काशी विश्वनाथ धाम ” का निर्माण कार्य 18 महीनों मे पूरा किया जाना है। लेकिन इधर अपने ढीले ढाले कार्य कलाप के चलते विवादास्पद हो चुके सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) को इस अहम कार्य योजना को लेकर न कोई फिक्र है और न किसी भी तरह की चिन्ता। आप समझिये कि जबकि यह मामला प्रधानमंत्री स्तर का है।

आज से पांच महीने पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी ने श्री काशी विश्वनाथ न्यास को आदेश दिया था कि काम शुरू हो तो भ्रष्टाचार के छींटे न पडें अतः वो स्वतः मकराना से संगमरमर खरीदने की व्यवस्था करे।

लेकिन सरकारी निर्माणदायी संस्थाओं  की हीलाहवाली से काम अटक गया।

सार्वजनिक निर्माण विभाग को धाम के निर्माण हेतु टेंडर की प्रक्रिया नवम्बर से ही शुरू कर देनी थी। लेकिन विभाग सोया रहा। विलम्ब होता रहा। 

इस विलम्ब को लेकर ही गत सोमवार 18 नवम्बर को मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने लखनऊ में बैठक बुलायी। उन्होंने  विलम्ब का कारण जानना चाहा और जब अनुकूल जवाब नहीं आया तो सीएम सार्वजनिक विभाग पर बिफर उठे। 

विशाल सिंह – मुख्य कार्यपालक अधिकारी (श्री काशी विश्वनाथ न्यास)

इस मीटिंग में मौजूद श्री काशी विश्वनाथ न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री जी को इस कदर लाल पीला होते कभी नहीं देखा। उनका क्रोध देख कर सभी सहम गये।

विशाल सिंह को भरोसा है कि सीएम की झाड़ रंग लाएगी और धाम का निर्माण कार्य अप्रैल 2021 के पूर्व निर्धारित तय समय में पूरा हो जाएगा। 

उन्होंने बताया कि आगामी 12 दिसम्बर को योजना स्थल का निरीक्षण होगा और 21 दिसम्बर को टेंडर खुलने की प्रक्रिया सम्पन्न होगी।

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