पदम पति शर्मा
प्रधान संपादक
इस सप्ताहांत की शाम एक पार्टी मे जाने का सुयोग मिला। इसमे एक राजनीतिक दल विशेष से जुड़े धाकड़ नेताओं के अलावा जाने माने शिक्षाविद, बुद्धिजीवी, पत्रकारिता के छात्र और सोशल मीडिया से जुड़े लोगों का अच्छा खासा जमघट था। इनमे ऐसे परिचित भी खासी संख्या में मिले जो फेसबुक आदि से मेरे साथ जुड़े हुए हैं। इनमे कुछ तो मेरी इन दिनो सोशल मीडिया की गतिविधियों से वाकिफ थे। लेकिन ऐसे काफी तादात मे थे जिनको यह शिकायत थी कि मैं इधर कुछ लिख क्यों नहीं रहा हूं ?
मैने उन साथियों को जो जवाब दिया सो दिया। यहाँ मैं सार्वजनिक तौर पर भी बताना जरूरी समझता हूँ कि यदि आप समझदार हैं और परिवर्तनशीलता को समझते हैं, कुछ अंशों तक भी उसे आत्मसात करते हैं। तो आपको तदनुरूप बदलना ही होगा। मैने जैसा कि पहले भी कहा कि परिवर्तन एक सतत प्रक्रिया है। समाज के हर क्षेत्र मे यह लागू होती है। सूचना क्रांति के इस वर्तमान दौर मे तो बदलाव असाधारण है। बहुत कुछ पीछे छूटता और अप्रासंगिक होता चला जा रहा है। आम जीवन मे एक नया शब्द जो तेजी से घर करता चला जा रहा है उसका नाम है सोशल मीडिया।

आज देश मे मोबाइल फोन्स के व्यापक विस्तार के साथ साथ ही मीडिया और मनोरंजन को भी आप तेजी से करवट बदलता हुआ स्पष्टतः देख सकते हैं।
स्वयं मैं भी अपने चार दशकीय पत्रकारिता सफर मे लगातार बदलाव का साक्षी रहा हूँ। चाहे वह मुद्रण हो अथवा समाचार संप्रेषण। एक युग वह भी था जब विदेशी धरती से दूर संचार के तत्कालीन एकमात्र माध्यम टेलेक्स से अपने अखबार को समाचार भेजने का खर्च होटल के प्रतिदिन के किराये से भी अधिक हुआ करता था। फैक्स के आगमन से शनैः शनैः समाचार संप्रेषण कम खर्चीला होने लगा। मगर यह इण्टरनेट का आगमन ही था कि सूचना के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव का दौर क्या शुरू हुआ, हमारे देखने का नजरिया भी उसी तेजी से बदल गया।

मोबाइल एप्स और डिजिटलाइजेशन का आगमन आपको इतने विकल्प दे चुका है कि ‘वर्तमान’ अब अपेक्षाकृत ज्यादा तेजी के साथ अतीत बनता जा रहा है।

टेलीविजन का पर्दा हो या प्रिंट मीडिया। दोनो ही पुराने पड़ने के साथ ही अपनी प्रासंगिकता भी तेजी के साथ खोते चले जा रहे हैं। मोबाइल के माध्यम से आप वो मनोरंजन देखना शुरू कर चुके हैं जो टीवी पर भी नहीं देख पाते थे। वेब सिरीज आज धमाका बन चुका है तो समाचार पढना और देखना भी नये आयाम स्थापित कर चुका है। कहने का तात्पर्य यह कि मोबाइल ने हमारी अपेक्षाओं की दुनिया ही बदल कर रख दी है। दुनिया के किसी भी कोने मे कुछ भी घटा हो, चंद मिनटों मे ही आपके हाथ मे चिपक से गये मोबाइल पर आडियो विजुअल और टेक्सस्ट के रूप मे हाजिर हो जाता है। ऐसे मे हम जानकारी के लिए अब समाचार पत्र और टीवी के शरणागत नहीं रह गये हैं । कौन सुबह अखबार आने का इंतजार करेगा जब आपके पास ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था है।

मैने भी अपने कुछ युवा साथियों के साथ समय की इस धारा को पकड़ा है। पिछली तीन सितम्बर से प्रारंभ अपनी nation-today.com वेबसाइट के माध्यम और यू ट्यूब के सौजन्य से वह परोसना शुरू किया है जो समाचार देखने, सुनने और पढने की दृष्टि से आपको तृप्त कर सके। सवा महीने से भी कम समय मे हमारी इस वेबसाइट ने उल्लेखनीय सफर तय किया है जो आपके सहयोग और प्यार से ही संभव हो सका। आपकी यह वेबसाइट देखने वालों की संख्या फिलहाल सोशल मीडिया पर चार लाख से अधिक का आँकड़ा पार कर चुकी है। हमारी टीम की हरचंद यह कोशिश है कि देश विदेश की चुनी हुई घटनाओं और समाचारों को हम आपके समक्ष यथासंभव तेजी के साथ परोस सकें। आपका प्यार हमें उत्प्रेरित करता है। इल्तजा है, प्रार्थना है, अनुरोध है कि हमारी इस वेबसाइट को आप ज्यादा से ज्यादा की संख्या मे लाइक और सब्सक्राइब कीजिए। विश्वास कीजिए हम निष्पक्षता के साथ आपकी आकांक्षाओं और भरोसे पर खरा उतरने की हमेशा भरसक कोशिश करते रहेंगे। जिनको यह शिकायत है कि इधर मेरा लिखा क्यों नहीं आ रहा है, वे जब हमारी वेबसाइट पर जाएंगे तब पाएँगे कि न मेरा लिखा बल्कि बोला ( आपकी बात का वीडियो) भी आपको मिलेगा। एक बार लागिन करके तो देखिए।