प्रमुख सचिव ने की हटाने की मांग

लखनऊः भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बाद सीएम योगी के निर्देश पर विजिलेंस जांच शुरू की गई, लेकिन सीएम के ही पशुधन विभाग में तैनात सचिव सत्येंद्र सिंह को हटाया नहीं जा सका, जिसको लेकर भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। मामले में सत्येंद्र सिंह को उनके पद से हटाये जाने की मांग की गई है।

विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा ने भ्रष्टाचार के आरोपी और विजिलेंस जांच का सामना कर रहे आईएएस सत्येंद्र सिंह को सचिव पद से तत्काल हटाने की मांग मुख्य सचिव राजेन्द्र तिवारी और सीएम योगी से की थी।
इससे पहले इनकम टैक्स के छापे में आईएएस अधिकारी सत्येंद्र सिंह के नोएडा स्थित आवास में करोड़ों रुपये की बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति का भी ब्यौरा मिला था। जिसके बाद अभियोजन की स्वीकृति मांगी गई, लेकिन नियुक्ति विभाग के अधिकारी लगातार इस फाइल को दबाते नजर आ रहे हैं।

सीएम योगी की योजनाएं हो रही है प्रभावित

सूत्रों के अनुसार, पिछले दिनों सीएम योगी ने पशुधन विभाग में तैनात सचिव सत्येंद्र सिंह के खिलाफ विजिलेंस जांच के निर्देश दिए थे, जिसके बाद जांच को करीब 20 दिन हो गए हैं, लेकिन सीएम के पशुधन विभाग में तैनात सचिव सत्येंद्र सिंह को नियुक्ति विभाग द्वारा हटाया नहीं जा सका है, जिसको लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं।
मामले से सीएम योगी की योजनाएं भी प्रभावित हो रही है, जिसका खुलासा खुद पशुधन विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा के द्वारा सत्येंद्र सिंह को हटाए जाने को लेकर लिखे गए पत्र से किया गया है।

प्रमुख सचिव बीएल मीणा ने सीएम को लिखा पत्र

प्रमुख सचिव बीएल मीणा ने पत्र में लिखा है कि आईएएस और सचिव पशुधन विभाग सत्येंद्र सिंह के खिलाफ कई गंभीर मामलों को लेकर विजिलेंस की जांच चल रही है. ऐसे में सीएम के अधीन पशुधन विभाग में सचिव पद पर बने रहना ठीक नहीं है.
मामले से महत्वाकांक्षी योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं, इसलिए इन्हें कहीं और स्थानांतरित कर दिया जाए. इसके अलावा विभाग में किसी दूसरे अफसर की भी तैनाती की जाए. ताकि विभागीय योजनाएं ठीक ढंग से संचालित हो सके।

मांगी गई अभियोजन की स्वीकृति भ्रष्टाचार के आरोपी आईएएस के खिलाफ

अधिकारी सत्येंद्र सिंह के यहां इनकम टैक्स के छापे के बाद अभियोजन की स्वीकृति मांगी गई थी, लेकिन नियुक्ति विभाग के अधिकारी लगातार मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
इसमें खास बात यह रही कि सत्येंद्र सिंह ने छापे में मिले करोड़ों रुपये की नगदी और ग्रेटर नोएडा में आईएएस सिंह के द्वारा बनाई गई अवैध संपत्तियों का ब्यौरा इनकम टैक्स को नहीं दिया था, जिसके बाद अभियोजन की स्वीकृति मांगी तो गई, लेकिन नियुक्त विभाग के अधिकारी लगातार फाइलों को दबाए बैठे हैं।

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