डॉ. रोहिणी सिंह
मनोवैज्ञानिक सलाहकार

प्रवेश और अनामिका काफ़ी अरसे से एक दूसरे को जानते थे। तीन साल की पहचान के बाद दोनों ने शादी की कुछ दिन हंसी खुशी में बीते पर धीरे धीरे उनके बीच झगड़े होने लगे। प्रवेश शुरु से ही थोड़ा अंतर्मुखी था अपने आप में रहता था। अनामिका हालांकि उसके बहुत विपरीत नहीं थी पर उसका सामाजिक दायरा थोड़ा ज्यादा था वह प्रवेश की तुलना में अंतर्मुखी बिल्कुल भी नहीं थी, लोगों से मिलना, बातें करना उसको बहुत पसंद था प्रवेश की झुंझलाहट का व्यवहार उसको भीतर तक साल जाता। इधर बीच वह महसूस कर रही थी कि प्रवेश जान बूझ कर अपने को नुकसान पहुंचाने वाला व्याहार (Self defeating )करने लगा था पहले से ज्यादा गुमसुम , अपने आप में खोए रहना खाने पीने में अनियमितता आ गई थीl अनामिका उसके इस बदले हुए व्यवहार से बहुत टूट रही थी। उसको ये समझ नहीं आ रहा था कि दोनों साथ रह क्यों रहे है ? और ऐसा कब तक चलेगा इसी उधेड़ बुन में उसको लगा कि प्रवेश कहीं किसी मानसिक समस्या से तो ग्रस्त नहीं ? उसने मनोवैज्ञानिक सलाहकार की मदद लेने की सोची, शुरु में प्रवेश की प्रतिक्रिया सकारात्मक नहीं थी पर धीरे- धीरे  वह सलाहकार के साथ बहुत सहज हो गया। गहन बात चीत से पता चला कि उसके जीवन में कुछ दुखद घटनाएं घटी थी। उसे अपने माता पिता से दूर रहना पड़ा क्योंकि उसने अपने माता पिता को साथ रहते नहीं देखा था; और उसे उनका प्रेम नहीं मिला था इसी कारण अनामिका से उसका समायोजन नहीं हो पा रहा था। यही वजह थी कि अनामिका के साथ उसके रिश्ते सहज नहीं थे। उसके मन में शक और गुस्सा चलता था। देखा जाए तो प्रवेश रिश्ते के लिए मानसिक रूप से तैयार ही नहीं था। धीरे धीरे काउंसलिंग और हीलिंग सत्र के बाद उसके व्यवहार और पुरानी धारणाओं में बहुत परिवर्तन आया; वह पहले से अधिक आत्मविश्वास महसूस कर रहा था और जीवन को नए तरह से जीने को तैयार था।

संदेश यह है कि…शादी का रिश्ता दो अंजान लोगों के बीच में होता है; दोनों अलग वातावरण से आते हैं और दोनों का अवचेतन मन अलग धारणाओ और घटनाओं से बनता है। अवचेतन मन की खूबसूरती यही  है कि कोई भी व्यवहार वह सोच कर नहीं करता अवचेतन मन(Subconscious mind) पुरानी धारणाओं और घटनाओं के आधार पर Automatic चलता है। इसी कारण कोई भी इंसान थोड़े समय तक तो चेतन मन से दिखावा कर लेता है, पर ज़्यादातर व्यवहार की चाभी अवचेतन मन के पास ही होती है ऐसे में जब दो लोगों के अवचेतन मन आपस में जुड़ते हैं तो लड़ाई झगड़ा कटुता होना बहुत स्वाभाविक है ऐसा नहीं कि सोच समझ कर व्यवहार करना ग़लत है या लंबे समय तक नहीं किया जा सकता पर यह मानव मन की विडंबना है कि उसका व्यवहार अवचेतन मन से ही संचालित होता है। एक कुशल मनोवैज्ञानिक का यह होता है कि वह अवचेतन मन को दुरुस्त कर दे।

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