दो हफ्ते पहले आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद (ए) के नेता मौलाना सैयद अरशद मदनी से मुलाकात की थी। अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेता महमूद मदनी ने इसका स्वागत किया है। महमूद मदनी ने कहा कि आरएसएस मुस्लिमों के प्रति दयालुता दिखा रही है। महमूद मदनी ने दोनों समुदायों के बीच की खाई पाटने के लिए लगातार बातचीत की वकालत की।
न्यूज 18 इंडिया के साथ बातचीत में जमीयत नेता महमूद मदनी ने कहा कि उनकी आरएसएस चीफ से मुलाकात नहीं हुई है, लेकिन यदि जरुरत हुई तो वह बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन अभी तक ऐसी कोई योजना नहीं बनी है। महमूद मदनी ने बातचीत के दौरान कहा कि बीती 11 सितंबर को दक्षिणपंथी विचारकों ने एक संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें मुगल राजकुमार दारा शिकोह की प्रशंसा की और मुगल शासक औरंगजेब को ‘अत्याचारी’ बताया गया।
महमूद मदनी के अनुसार, वह औरंगजेब को सिर्फ एक शासक मानते हैं। उन्होंने कहा कि ‘मैं औरंगजेब को बतौर शासक 10 में से 8 नंबर दूंगा, तो छत्रपति शिवाजी को 10 में से 10। मैं इसे हिंदू-मुस्लिम के तौर पर नहीं देखता।’
मदनी ने कहा कि “वह इतिहास में नहीं जाना चाहते क्योंकि इसमें फिर एमएस गोवलकर और वीडी सावरकर का भी जिक्र आएगा। ये भी सवाल पूछा जा सकता है कि कौन ‘अच्छा हिंदू’ है- नेहरु-पटेल या फिर गोवलकर-सावरकर? इतिहास में जाने से विवाद बढ़ेगा और मैं ये नहीं चाहता।”
जमीयत नेता ने कहा कि हम वर्तमान में देख सकते हैं और मौजूदा उदाहरण से इसका फैसला कर सकते हैं कि कौन ‘अच्छा हिंदू है और कौन अच्छा मुसलमान।’ हाल के समय में हमारे सामने डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण है, यदि वह अच्छे मुसलमान थे तो उन्हें फिर सभी समुदायों के सामने रोल मॉडल की तरह पेश किया जाना चाहिए।
मदनी ने कहा कि आरएसएस में कुछ बदलाव आ रहे हैं और भागवत ने खुद कहा है कि बिना मुस्लिमों के हिदुत्व अधूरा है। बता दें कि साल 2007 में जमीयत उलेमा-ए-हिंद दो फाड़ हो गया था। इसके बाद मौलाना अरशद मदनी के नेतृत्व में जमीयत उलेमा-ए-हिंद (ए) का गठन हुआ, वहीं दूसरा धड़ा जमीयत उलेमा ए हिंद रहा।
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