दूर्गाकुण्ड स्थित माॅ कूष्मांडा दूर्गा का प्रांगण सोमवार को ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना। जब मंच पर मैहर स्थित माॅ शारदा देवी के 104 वर्षीय पीठाधीश्वर आचार्य पं. देवी प्रसाद गुरू जी ने माइक संभाला तो मन्दिर में उपस्थित हजारो की संख्या में श्रद्धालु एकचित्त होकर उन्हे सुनने उमड़ पड़े। हर कोई बस गुरू की वाणी सुनने को बेकरार दिखा, जिसको जहाॅ जगह मिली वही खड़ा होकर उन्हे मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहे। छः दिवसीय माॅ कूष्मांडा दूर्गा मन्दिर संगीत समारोह के अन्तिम दिन पं. देवी प्रसाद गुरू जी ने माॅ के चरणों में स्वराजंलि के साथ साथ सरोद का भी वादन कर माॅ को नमन किया। उन्होंने सबसे पहले ‘बन्दउ गुरू पद परम परागा‘ से शुरूआत की, उसके बाद उन्होनें ‘जगदम्बा तेरी आरती करूॅ मैं बारम्बार‘, ‘बचपन तेरा बीता जवानी तेरी बीती, बुढ़ापा चला जायेगा, भजन कर ले‘, ‘मैया तेरे याद ने पागल बना दिया‘ आदि भजन सुनाकर भक्तो को निहाल कर दिया। उसके बाद मैहर पीठाधीश्वर ने सरोद की तान से भी माॅ के चरणों में अपना स्नेह अर्पण किया। 

इसके पूर्व मुम्बई से आये भजन गायक आलोक पांडेय तथा वाराणसी के अमलेश शुक्ला अमन तथा कन्हैया दूबे ने भी देर रात तक भक्तों को माॅ के भजनों से सराबोर करते रहे। कार्यक्रम का संचालन मंजरी पाण्डेय, अंकिता खत्री एवं सीमा केशरी ने किया। कलाकारो का स्वागत महन्त राजनाथ दूबे ने माॅ की चुनरी एवं प्रसाद प्रदान कर किया। 

श्रृंगार महोत्सव में छठे दिन हुआ कन्या पूजन एवं अखण्ड भण्डारा

श्रृंगार महोत्सव के छठे दिन माॅ का सोलह श्रृंगार किया गया। गुलाब की मालाओं से सजी माॅ का विभिन्न स्वर्णाभूषणों से दिव्य श्रृंगार किया गया था। माॅ की दिव्य छवि को श्रद्धालु अपलक निहारते ही रहे। इससे पूर्व मन्दिर में मध्यान 12 बजे कन्या पूजन का कार्यक्रम आयोजित हुआ। पिण्डरा विधायक डाॅ. अवधेश सिंह, संजय जायसवाल एवं विकास दूबे ने कन्या पूजन किया। सबसे पहले कन्याओं के पांव पखारा गया। तत्पश्चात उन्हें माॅ की चुनरी ओढ़ा कर उनका पूजन किया गया। इसके बाद मन्दिर में अखण्ड भण्डारें का शुभारंभ हुआ जो देर रात तक अनवरत रूप से चलता रहा जिसमें हजारो की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। आरती संजय दूबे तथा श्रृंगार चंचल दूबे ने किया। कार्यक्रम संयोजन चन्दन दूबे एवं शुभम दूबे ने किया। 

साभार : प्रताप बहादुर सिंह

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