जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत ने एक समिति बनाई है जो तथ्यों के आधर पर यह तय करेगी कि अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के हाल के निर्णय पर पुर्निवचार के लिए याचिका दायर की जाए या नहीं। जमीयत अध्यक्ष के इस बयान पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री मोहसिन रजा ने कड़ा एतराज जताया है।
उन्होंने कहा, ‘ यह संस्थान देश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रही है।’ उन्होंने कहा कि अगर AIMPLB को मीटिंग करनी ही थी तो हैदराबाद या दिल्ली में कर लेते। जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिम समाज मंजूर कर चुका है तो इस मीटिंग का क्या मतलब। बोर्ड माहौल खराब करना चाहता है। मोहसिन रजा ने AIMPLB पर निशाना साधते हुए आगे कहा, ‘अब इसकी जांच होनी चाहिए कि आखिर इस संस्था की फंडिंग कौन कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि जमीयत ने एक समिति बनाई है जो तथ्यों के आधर पर यह तय करेगी कि अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के हाल के निर्णय पर पुर्निवचार के लिए याचिका दायर की जाए या नहीं। फैसले की समीक्षा के लिए मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता में जमीयत के केंद्रीय कार्यालय में आपात बैठक आयोजित की गई।
इसके बाद जारी बयान में मदनी ने यह बात कही। मदनी ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ‘समझ से परे’ बताते हुए कहा जमीयत ने एक समिति बनाई है जो तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर निष्कर्ष निकालेगी कि इस मामले में पुर्निवचार याचिका दायर की जाए या नहीं।
मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन देने के कोर्ट के आदेश पर मदनी ने कहा, ‘मुसलमान कभी जमीन का मोहताज नहीं रहा। उन्होंने कहा कि ये जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जानी है और मेरी राय है कि बोर्ड को जमीन स्वीकार नहीं करनी चाहिए।’ मदनी ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘बाबरी मस्जिद मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जाने की बात बेमानी है।
उन्होंने कहा कि अदालत हमारी है, मुल्क हमारा है और हम उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं। हम जो भी कदम उठाएंगे, देश के संविधान और कानून के अनुसार उठाएंगे।’ मदनी ने कहा, ‘कानून और न्याय की नजर में बाबरी मस्जिद थी, है और कयामत तक रहेगी। फिर चाहे उसको कोई भी नाम या स्वरूप क्यों ना दे दिया जाए।’