शपथ ग्रहण के पहले ही ड्रामा शुरू!

विशेष संवाददाता

मुंबई: मुख्यमंत्री होने की चाहत में शिवसेना अपने सिद्धांतों और विचारधारा की तिलांजली दे बैठी और उसके मुखिया पिछली शाम दावा कर रहे थे कि हमारा यह गठबंधन 25-30 वर्षो के लिए है, सिर्फ एक कार्यकाल के लिए नहीं। लेकिन वास्तविकता यह है कि अभी शपथ ग्रहण भी नही हुआ है कि दो घटकों में “किसको ज्यादा मलाई मिले”को लेकर छीना झपटी शुरू हो चुकी है और उद्धव तमाशा देख रहे हैं। उनको थोडी समझ तो आ ही गयी होगी कि दो महारथियों के बीच उनकी औकात तमाशबीन से ज्यादा कुछ भी नहीं है। मर्जी शरद पवार और सोनिया गांधी की चलेगी और शिवसेना मुख्यमंत्री पद लेकर ही खुश रहेगी।

अगर सूत्र जो बता रहे हैंं वो सच है तो सियासी संग्राम के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनना तय तो हो गया लेकिन तीन पहियों वाली इस सरकार के गठन से पहले एक और राजनीतिक ड्रामे की आहट सुनाई देने लगी है।

दरअसल, तीनों दलों ने मिलकर  मुख्यमंत्री पद पर तो फैसला कर लिया, कि वह शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे होंगे लेकिन अभी सरकार के मंत्रालयों को लेकर फैसला नहीं हो पा रहा है। 

खबरे हैं कि मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस-एनसीपी में खींचतान चल रही है। हालांकि, मुख्यमंत्री पद लेकर शिवसेना फिलहाल इस खींचतान से बाहर है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, शहरी विकास मंत्रालय, राजस्व मंत्रालय, गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और ग्रामीण विकास जैसे मंत्रालयों को लेकर कांग्रेस-एनसीपी में सहमति नहीं बन पा रही है।

सूत्रों के मुताबिक, शहरी विकास और राजस्व मंत्रालय को कांग्रेस अपने पास रखना चाह रही है और एनसीपी भी उक्त दोनो अपने पास रखना चाहती। पहले ये दोनों मंत्रालय एनसीपी के पास ही रहे हैं। ऐसे में दोनों दलों के बीच खींचतान की स्थिति बन गई है। अब अगर यह स्थिति बनी रहती है तो हो सकता है कि कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनने के साथ-साथ राज्य में एक और राजनीतिक ड्रामा देखने को मिले।

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