दिल्ली। अभी तक राम मंदिर प्रकरण पर चुप्पी साधे रखने और भाजपा को घेरती आ रही कांग्रेस जिसने न सिर्फ राम जन्मभूमि का ताला खुलवाया बल्कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल मे शिलान्यास भी कराया और नरसिम्हा राव सरकार के दौरान विवादित ढाँचा भी टूटा था।

उसी पार्टी ने कभी सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामा देकर भगवान राम के अस्तित्व तक पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए उन्हें एक काल्पनिक पात्र तक बता दिया था। कांग्रेस अब मुस्लिम परस्त का लगा टैग हटाने के लिए आगे आ गयी है।

कल शाम नयी दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच अयोध्या विवाद पर फैसले से पहले एक बैठक मे भावी रणनीति पर चर्चा हुई।

बैठक में कुछ नेताओं का सुझाव था कि बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड से लड़ने के लिए अगर फैसला मंदिर के पक्ष में आए तो पार्टी को खुले मन से सुप्रीमकोर्ट के फैसले का स्वागत करना चाहिए।बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि अगर फैसला मस्जिद के पक्ष में आए या हाईकोर्ट के तीन भाग में ज़मीन बांटने वाले फैसले को ही बरकरार रखा जाए तो पार्टी नेता अलग-अलग बयान न दें बल्कि पार्टी केंद्रीय स्तर पर एक राय बनाएगी और उसी लाइन पर सभी नेताओं को बोलना होगा।

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