पाकिस्तान की एक और नापाक साजिश : श्रीनगर मार्च के लिए निकला एक लाख काफिला एलओसी से नौ किलोमीटर दूर

इस बार दुश्मन की यह आत्मघाती भूल होने जा रही

पदम पति शर्मा

वाह रे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ! वाकई  तुम्हारे दोगलपन की यह इन्तहा है। एक तरफ तुम पीओके के लोगों को श्रीनगर मार्च के लिए रोकने की  अपील का सार्वजनिक तौर पर दिखावा कर रहे हो। लेकिन दूसरी ओर पाकिस्तानी आईएसआई और आतंकी जमात जेकेएलएफ ने संयुक्त रूप से लगभग एक लाख कथित पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों को एलओसी की ओर कूच करा दिया है। हालाँकि यह  कहा जा रहा है कि इमरान की अपील अनसुनी कर दी गयी है। लेकिन क्या ऐसा मुमकिन है ?

पांच हजार वाहन और एम्बुलेन्स भी मार्च मे शामिल

इस नापाक काफिले मे पांच हजार चौपाया वाहन भी साथ चल रहे हैं और एक सामाजिक संघटन की ओर से एम्बुलेन्स भी इस मार्च मे शामिल हैं। मार्च में हथियारों से लैस आतंकियो की भी बड़ी तादात बतायी जा रही है। 

एलओ सी से नो किलोमीटर दूर काफिले को रोका गया

यह मार्च मुजफ्फराबाद – श्रीनगर हाईवे से लाइन आफ कंट्रोल की ओर चला है और अंतिम समाचार मिलने तक इसे एलओसी से नौ किलोमीटर दूर पाकिस्तानी फौज ने कंटीले तारों की बाढ़ लगा कर रोक दिया है। मार्च की अगुवाई कर रहे जेकेएलएफ के आतंकी सरगना अमानुल्ला खान ने एलओसी से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित चकोटी तक जाने की माँग की है। 

इतिहास सबक लेने के लिए होता भूल कर दोहराने के लिए नहीं

अपनी जहरीली तकरीर मे भारत को दुश्मन नंबर एक करार देते हुए अमानुल्ला ने पीएम नरेन्द्र मोदी को चेतावनी दी और कहा कि कश्मीर की आजादी के लिए हम जंग छेड़ चुके हैं, इन्शाअल्लाह नाश्ता श्रीनगर मे करेंगे। 

इतिहास सबक लेने के लिए होता है उसे भूल कर दोहराने के लिए नहीं । यदि सबक लिया होता तो यह आत्मघाती मार्च नही निकला होता। पहले 1948 मे कबायली के भेष मे पाकिस्तानी फौज ने कश्मीर हड़पने की नापाक कोशिश की थी और यदि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने युद्ध विराम की भयंकर भूल न की होती तो सम्पूर्ण कश्मीर भारत का हिस्सा बन चुका होता।

1965 मे एक बार फिर पाकिस्तान के फौजी तानाशाह हुक्मरान अय्यूब ने भारत को हलुआ समझ कर गड़प करने की फिराक में इस ढपोरशंखी दावे के साथ हमला करने की नापाक कोशिश की थी कि सुबह का नाश्ता श्रीनगर और दोपहर का लंच नयी दिल्ली मे होगा। मगर हुआ यह कि भारतीय सेना ने दुश्मन की फौज को खदेड़ा ही नहीं बल्कि वह तो लाहौर की सीमा तक भी पहुँच चुकी थी। 

मैदानी जंग हमेशा जीते, वार्ता की मेज पर बार बार हारे

सच तो यह है मैदानी जंग तो हमेशा भारत ने जीती पर वार्ता की मेज पर उसकी हर बार हार हुईं । नेहरू की बेटी इन्दिरा गांधी ने, जिन्हे एक तबका प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की ताशकंद मे रहस्यमय मौत के लिए जिम्मेदार ठहराता रहा है, अगर बांग्लादेश मे 30 लाख बंगभाषी मुसलमानो की हत्या और लाखों महिलाओं की अस्मत लूटने वाली हत्यारी 93 हजार पाकिस्तानी फौज को 1972 में रिहा करने की भयंकर गलती न की होती और पाक के तत्कालीन पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो के झाँसे मे आकर शिमला समझौता न किया होता तो पीओके शब्द भी उसी समय इतिहास बन गया होता।

पीओके हासिल करने का ऐतिहासिक श्रेय मोदी को मिलेगा ?

इस बार लगता है कि उन तमाम गल्तियो के परिमार्जन का वक्त आ गया है। यदि कहा जाय कि सेर का जवाब सवा सेर से देने मे निष्णात भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पीओके हासिल करने का ऐतिहासिक श्रेय मिलने जा रहा है तो यह कहीं से गलत नहीं होगा । 370 अनुच्छेद रद्दी की टोकरी के हवाले करने के बाद अब पाक अधिकृत कश्मीर को अखंड भारत का हिस्सा बनाने का समय आ चुका है। खुद पाकिस्तान यह मौका देने जा रहा है। भारतीय सेना की ओर से पाक को चेताया जा चुका है कि यदि किसी ने भी एलओसी पार करने की कोशिश की तो उसे भून कर रख दिया जाएगा और एक भी आतंकी हमला हुआ तो बालाकोट से भी भयंकर अंजाम भुगतने के लिए दुश्मन तैयार रहे। 

संभलो कंगाल पाकिस्तान नही तो तुम्हारा वजूद मिटने मे देर नहीं

देश इस आत्मविश्वास से लबरेज है कि नरेन्द्र भाई मोदी न तो नेहरू हैं और न ही इन्दिरा गांधी । वह दूसरी माटी के बने हैं । शत्रु को किस तरह का मुहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए, यह देश सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक के रूप मे देख भी चुका है। अब तो जबरदस्त जंगी विमान राफेल भी देश को मिलने जा रहा है। यह बमवर्षक विमान जिन शस्त्रों से लैस है और इसकी जो मारक क्षमता है उससे 150 किलोमीटर की दूरी से भी वह टारगेट को लक्ष्यभेद मे सक्षम है। ऐसे मे संभल जाओ पाकिस्तान, कश्मीर को भूल कर अपनी कंगाली हालत सुधारने की ओर ध्यान दो नहीं तो हड़पा हुआ कश्मीर ही हाथ से नहीं जाएगा तुम्हारे चार टुकड़े भी हो जाएँगे। तुम्हारे जल्म-ओ-सितम से त्रस्त बलूचिस्तान और सिंध भारत का हिस्सा बन जाएंगे, इसमे संदेह नहीं । पख्तूनवा भी तुमसे अलग होगा। बस पंजाब बचा रह जाएगा । क्या चाहते हो कि पाकिस्तान का नाम-ओ निशान भी नक्शे से मिट जाए ?

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