नई दिल्ली। राजनीति के बेजोड घाघ खिलाडी शरद पवार से बडा गणितज्ञ  शायद ही कोई दूसरा मिलेेगा। उन्होंने पिछले दिनों महाराष्ट्र सरकार के गठन के दौरान खुद को कदम कदम पर भुनाया। 

 सबसे पहले शरद पवार ने बयान दिया कि महाराष्ट्र को लेकर उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई थी लेकिन उन्होंने पेशकश ठुकरा दी। दिल्ली में दिए गए इस बयान के बाद शरद पवार ने महाराष्ट्र की राजनीति को साधा और नहीं नहीं कहते हुए भी अपने सहयोगियों पर दबाव बना कर उन्हें साध लिया।  इसका नतीजा भी 24 घंटे के अंदर सामने आ गया, क्योंकि महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल के फॉर्मूले में एनसीपी ने अगुवाई ले ली थी।

‘हमें तो कुछ मिला ही नहीं’

बताने की जरूरत नहीं  कि महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी को एकसाथ मिलाने के पीछे सबसे बड़ी भूमिका शरद पवार की ही रही है। लेकिन जब महाराष्ट्र में सत्ता के बंटवारे पर उनसे सवाल हुआ तो उन्होंने कहा कि शिवसेना के पास मुख्यमंत्री है जबकि कांग्रेस के पास स्पीकर है. लेकिन मेरी पार्टी को क्या मिला. डिप्टी सीएम के पास कोई अधिकार नहीं होता। गौरतलब है कि संविधान के अनुसार डिप्टी सीएम का कोई पद नहीं होता है, यह सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री के बराबर ही होता है।

पवार के पावर पंच ने कर दिया काम?

शरद पवार का ये बयान जैसे ही सामने आया तो महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हुई। राजनीतिक गलियारों में बात ये भी हुई कि शरद पवार अपने सहयोगियों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, इसको लेकर साफ तौर पर कुछ नहीं कहा। लेकिन बुधवार शाम होते-होते महाराष्ट्र से नया फॉर्मूला सामने आया कि अब मंत्रिमंडल में एनसीपी को सबसे ज्यादा जगह मिली हे।

नए फॉर्मूले के अनुसार, महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में एनसीपी को 16, शिवसेना को 15 और कांग्रेस को 12 मंत्रालय मिले हैं। अगर विधानसभा सीटों के हिसाब से देखें तो कांग्रेस के पास 44, एनसीपी के पास 54 और शिवसेना के पास 56 विधायक हैं । इससे पहले सत्ता के बंटवारे के अनुसार, शिवसेना को मुख्यमंत्री पद, कांग्रेस को स्पीकर और एनसीपी को डिप्टी सीएम का पद मिला था।

किसे साधने में जुटे हैं शरद पवार?

मंत्रालय को लेकर दबाव बनाकर शरद पवार ने फैसला लेने की गेंद को शिवसेना-कांग्रेस के पाले में डाल दिया था। लेकिन शरद पवार किसे घेरना चाह रहे हैं, ये कुछ साफ नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि मंत्रालय को लेकर शिवसेना के साथ उनकी कोई दिक्कत नहीं है, जो भी है कांग्रेस-एनसीपी के बीच की बात है। क्योंकि कांग्रेस के पास शिवसेना-एनसीपी से काफी कम सीटें हैं, फिर भी कांग्रेस की ओर से सत्ता में बराबर भागीदारी की बात कही जा रही थी।

पेशकश ठुकरा कर बड़ी बन गई एनसीपी?

अपने इंटरव्यू में शरद पवार ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उन्हें महाराष्ट्र में साथ आने का न्योता दिया गया था, इसके अलावा सुप्रिया सुले के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह की बात कही गई थी। फिर भी शरद पवार ने महाराष्ट्र के लिए प्रधानमंत्री के ऑफर को ठुकरा दिया, ऐसे में चर्चा इस बात पर भी है कि शरद पवार ने अपने इस बयान से सहयोगियों को साफ संदेश दे दिया है कि वह एक बड़ा त्याग कर महा अगाड़ी गठबंधन के साथ जुड़े हैं, ऐसे में सहयोगियों को उनके त्याग को समझना चाहिए।

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