अयोध्या काण्ड: लोमहर्षक नरसंहार – भाग 1

पदम पति शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार

आपकी बात आपके साथ में आज यह बताना है कि अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर भव्य मंदिर निर्माण को लेकर चला आ रहा लम्बा इन्तजार अब शीघ्र ही समाप्त होने को है। 

नवम्बर में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के तत्काल बाद मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ हो जाएगा। लेकिन आततायी आक्रान्ता बर्बर मुगल शासक बाबर द्वारा राम जन्मस्थान का ध्वंस करके उसी पर तामीर मस्जिद को फिर से हासिल करने लिए सैकड़ो वर्षों के दौरान न जाने कितनी बड़ी तादात में धर्म पारायण जनता ने अपनी शहादत दी है।

इसी सिलसिले में हम चर्चा करने जा रहे हैं 1990 मे 31 अक्तूबर को राम भक्तों की बाबरी ढाँचे पर की गयी कार सेवा की और यह भी बताएँगे कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के वोट बैंक की खातिर राम भक्तों को कार सेवा से रोकने के लिए किए गये कड़े सुरक्षा प्रबंध की कैसे काशी के युवा राम भक्तों ने धज्जी बिखेर कर कर रख दी थी। दो अंको मे समाप्त इस गाथा मे आप विस्तार से सुनेगे कि किस तरह ‘परिन्दा भी पर नहीं मार सकेगा’ का दावा भोथरा हो जाने से क्रुद्ध होकर मुलायम सिंह ने निरीह कारसेवको के नरसंहार को अंजाम दिया था।

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