सीएम केजरीवाल दूसरी ओर फंड की कमी का रोना रो रहे है सीएम केजरीवाल

अनिता चौधरी
राजनीतिक संपादक

पतंजलि के उत्पादों का प्रचार प्रसार बतौर माडल स्वामी रामदेव करते हैं तो उनका ही अनुसरण करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ही विज्ञापनों मे स्वयं उतरने के लिए मशहूर हैं। यानी माडल का खर्च वह बचाते हैं। फिर भी उनकी
सरकार ने विज्ञापन में खर्च के मामले में पिछली सरकारों के रेकार्ड तोड दिये है।

आम आदमी पार्टी की दिल्ली की सरकार ने प्रतिवर्ष 78 करोड इस मद में खर्च किए हैं। यह आँकड़ा पूर्ववर्ती शीला दीक्षित सरकार के विज्ञापन ख़र्च से कहीं अधिक है। शीला दीक्षित सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में क़रीब 19 करोड़ रुपए सालाना ख़र्च किए थे। एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी मिली है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस की ओर से दाख़िल की गई आरटीआई के जवाब में पता चला है कि कि 2008 से 2012 तक शीला दीक्षित की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने 75.9 करोड़ रुपए, यानी 18.97 करोड़ रुपये सालाना विज्ञापान पर ख़र्च किए थे। 2015 से 2019 के बीच केजरीवाल सरकार 311.78 करोड़ इस मद में ख़र्च कर चुकी है।

मजा तो यह कि अरविंद केजरीवाल रोना रो रहे हैं कि इन पांच सालों में उन्होंने कोई कमाई नहीं की है ,उनके पास पैसे नहीं है, ऐसे में वो चुनाव कैसे लड़े । यही नहीं उन्होंने दिल्ली के विकास के लिए कई प्रोजेक्ट्स नही पूरा कर पाने के लिए भी पैसे की कमी को ही ज़िमनेदार ठहराया है ,उनका कहना है कि राजस्व के पास पैसे नही थे इसलिये वो काम पूरा नही। कर पाए लेकिन आश्वासन दिया है कि वो पूरा जरूर करेंगे ।

आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के सीएम केजरीवाल की माने तो इन साढ़े चार साल के कार्यकाल में भले ही उनकी सरकार ने कमाई नही की हों और राजस्व की कमी का रोना रो रहे हो मगर इन पांच सालों में अपने प्रचार-प्रसार में सभी सरकारों को मात दे दी है ।

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