by sportskuldeep
30 साल पहले बंगाल के जगमोहन डालमिया ने बीसीसीआई को दुनिया का सबसे अमीर और दादागिरी वाला क्रिकेट बोर्ड बनाया था। अब फिर एक बंगाली बीसीसीआई का प्रबंधन संभालने आया है। देखते हैं दूसरा बंगाली यानि सौरव गांगुली इसे कितनी ऊंचाइयों पर ले जाते हैं।
वह भी ऐसे समय में जब आईसीसी में बैठे बीसीसीआई के विभीषण दूसरे क्रिकेट बोर्ड को भड़काकर ठीक ऐसे घेरने में जुटे हैं जैसे कभी ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय रियासतों में फूट डालकर अपना वर्चस्व बनाया था।
वैसे भी दादा गांगुली की इमेज उस दादागिरी की रही है, जो लाडर्स के पवेलियन में अंग्रेजों की सारी परंपराओं को ठेंगा दिखाकर टीशर्ट उतारकर खुशी जताता है, जो ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों के स्लेजिंग के नाम पर एक गाली देने से नाराज होकर अपने क्रिकेटरों से दो गाली दिलाकर जवाब देता है, जो दक्षिण अफ्रीका में सचिन तेंदुलकर जैसे क्रिकेटर को जबरन झूठे आरोप में फंसाए जाने पर टेस्ट मैच का बहिष्कार कर टीम को पवेलियन ले आता है, जो ग्रेग चैपल की धोखाधड़ी का जवाब टीम में वापसी करते हुए जबरदस्त शतक ठोककर करता है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो सौरव गांगुली एक गजब की क्रिकेट समझ वाले क्रिकेटर ही नहीं बल्कि बेहतरीन प्रेरक कप्तान भी रहे हैं। नेतृत्व करने की यह क्षमता सौरव ने बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष के तौर पर भी दिखाई है।
कुल मिलाकर सौरव की नियुक्ति भारतीय क्रिकेट के वैश्विक वर्चस्व को दोबारा उसी स्तर पर पहुंचा सकती है, जहां जगमोहन डालमिया ने छोड़ा था। चलिए तो फिर तैयार हो जाते हैं “””कोरबो, लोड़बो, जीतबो””” का लुत्फ लेने के लिए।