पदम पति शर्मा
प्रधान संपादक

माननीय रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय संविधान पीठ का राम मंदिर के पक्ष में सुनाया गया एकमत निर्णय सचमुच सत्य की जीत है, यह जीत किसी एक पक्ष की नहीं यह सम्पूर्ण हिन्दुस्तान की जीत है, धर्म निरपेक्षता की विजय है। इस ऐतिहासिक फैसले से आपसी सद्भाव और भारतीय न्याय पालिका की निष्पक्षता को विशेष बल मिला है।

राम लला विराजमान के लिए चले आ रहे पांच सौ साल के संघर्ष के दौरान दोनों पक्षो की ओर से शहादत देने वालों का इस अवसर पर अभिनंदन-नमन।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से इस संवेदनशील मुद्दे के दशकों तक चले संघर्ष की यह सुखद परिणति भले ही देर से आयी हो मगर आयी एकदम दुरुस्त।

विश्व हिन्दू परिषद के अशोक सिंघल आज हमारे बीच नहीं हैं और नहीं है महंत अवैद्यनाथ जी जो राम मंदिर आन्दोलन के सूत्रधार थे, आज इन सभी की आत्मा को शान्ति मिली होगी ।

याद आते हैं 1990 मे तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा देश की एकता अखंडता के नाम पर अर्धसैनिक बल की मदद से निरपराध राम भक्तों के संहार के दौरान हुए शहीदों को भी आज श्रद्धांजलि। विशेषकर कोलकाता के युवा कोठारी बंधुओं को भी नमन जिनकी लाश हम पत्रकार साथियों ने उठायी थी।

समझ आ गयी होगी मुलायम जैसे नेताओं को कि देश की अखंडता सुप्रीम कोर्ट के इस सुप्रीम फैसले से आयी है।
इस घटना का स्मरण इसलिए करना पड़ा कि उस समय का संहार इस नाचीज के सामने ही हुआ था और उस घटना के दृश्य याद करते हुए आज यह नाचीज अंदर तक भीग जा रहा है ।

अंत में यही कहना चाहूँगा कि देश के सभी समुदाय के लोगों को एक दूसरे के साथ गले मिल कर इस फैसले का स्वागत और अभिनंदन करना चाहिए।

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