पुरानी सरकारों के धतकरर्मो की भी गहन जांच की जरूरत, अवधेश की शहादत जाया न हो

ठेकेदार अवधेश चंद्र श्रीवास्तव की आत्महत्या मामले में साथी ठेकेदारों ने पीडब्ल्यूडी में काम बंद कर दिया है। उधर, विभाग के नौ कर्मचारियों पर कार्रवाई के साथ बाकी के भी स्थानांतरण की तलवार लटकी है। इसके चलते परियोजनाओं के काम पर ब्रेक लग गया है। सड़कों के निर्माण पर भी इसका असर पड़ने लगा है।

इस समय शहर की अधिकांश सड़कों की गिट्टियां बारिश के चलते उखड़ चुकी हैं। सड़क निर्माण से जुड़े ठेकेदारों ने कहा कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे। जरूरत पड़ी तो पूरे प्रदेश में काम बंद कराया जाएगा।

पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता सुग्रीव राम ने बताया कि मंगलवार को पीडब्ल्यूडी ने पैचवर्क कराने की योजना बनाई थी, लेकिन बारिश के चलते काम शुरू नहीं हो सका। सड़क सूखने के बाद पैचवर्क कराया जाएगा। 15 सितंबर से सड़कों को बनाने का काम तेज होगा। ठेकेदारों के काम न करने के चलते विभाग अपने संसाधनों से काम करा रहा है।

योगी सरकार को मंत्रालयों के लिए लागू करनी चाहिए नयी आचार संहिता

योगी सरकार को एक नयी आचार संहिता लागू करनी होगी सभी विभागों के मंत्रालयों के लिए। लगे हाथ पिछली सरकारों के पाप और धतकरम खंगालने का भी यह सही अवसर मिला है। मुख्यमंत्री जी की ईमानदारी का तो विपक्षी भी लोहा मानते हैं । जांच होनी चाहिए कि किस आधार पर ठेकेदारों को काम मिला था ? कितनी वास्तविक लागत थी ? डीपीआर कितने की बनी ? भुगतान कैसे किए गए ? अगर सही मायने मे निष्पक्षता के साथ जांच की गयी तो इतने बड़े घोटालों का पर्दाफाश होगा कि किसी ने कल्पना नहीं की होगी। अवधेश श्रीवास्तव की शहादत बेकार न हो, उत्तर प्रदेश सरकार इसको ध्यान मे रख कर कार्य शैली मे आमूल चूल परिवर्तन के लिए आगे बढ़े।

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