12 जून को इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने घोषणा की कि चंद्रमा पर जाने के लिए भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को प्रक्षेपित किया जाएगा इसके बाद 29 जून को सभी परीक्षणों के बाद रोवर को लैंडर विक्रम से जोड़ा गया। 29 जून को लैंडर विक्रम को ऑर्बिटर से जोड़ा गया। इसके बाद 4 जुलाई को चंद्रयान-2 को प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1) से जोड़ने का काम पूरा किया गया। 7 जुलाई को जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1 को लॉन्च पैड पर लाया गया।

ये है घटनाक्रम: 14 जुलाई-15 जुलाई को जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1/चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शुरू हुई।15 जुलाई: इसरो ने महज एक घंटे पहले प्रक्षेपण यान में तकनीकी खामी के कारण चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण टाल दिया।18 जुलाई: चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से 22 जुलाई को दोपहर दो बजकर 43 मिनट का समय तय किया गया।21 जुलाई: जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1/चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शुरू हुई।22 जुलाई: जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1 ने चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।24 जुलाई: चंद्रयान-2 के लिए पृथ्वी की कक्षा पहली बार सफलतापूर्वक बढ़ाई गई।26 जुलाई: दूसरी बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई।29 जुलाई: तीसरी बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई।

दो अगस्त: चौथी बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई।चार अगस्त: इसरो ने चंद्रयान-2 उपग्रह से ली गई पृथ्वी की तस्वीरों का पहला सैट जारी किया।छह अगस्त: पांचवीं बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई।14 अगस्त: चंद्रयान-2 ने सफलतापूर्वक ‘लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी’ में प्रवेश किया।
20 अगस्त: चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा।22 अगस्त : इसरो ने चंद्रमा की सतह से करीब 2,650 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रयान-2 के एलआई4 कैमरे से ली गई चंद्रमा की तस्वीरों का पहला सैट जारी किया।21 अगस्त: चंद्रमा की कक्षा को दूसरी बार बढ़ाया गया।26 अगस्त : इसरो ने चंद्रयान-2 के टेरेन मैपिंग कैमरा-2 से ली गई चंद्रमा की सतह की तस्वीरों के दूसरे सैट को जारी किया।28 अगस्त : तीसरी बार चंद्रमा की कक्षा बढ़ाई गई।30 अगस्त : चौथी बार चंद्रमा की कक्षा बढ़ाई गई।

एक सितंबर : पांचवीं और अंतिम बार चंद्रमा की कक्षा बढ़ाई गई।दो सितंबर : लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक आॅर्बिटर से अलग हुआ।तीन सितंबर : विक्रम को चंद्रमा के करीब लाने के लिए पहली डी-आर्बिटिंग प्रक्रिया पूरी हुई।चार सितंबर : दूसरी डी-आर्बिटिंग प्रक्रिया पूरी हुई।सात सितंबर : लैंडर ‘विक्रम’ को चंद्रमा की सतह की ओर लाने की प्रक्रिया 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य और योजना के अनुरूप देखी गई, लेकिन बाद में लैंडर का संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया।


साभार : जनसत्ता

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