ऋचा बाजपेयी

इस्‍लामाबाद। फ्रांस की राजधानी पेरिस में 18 अक्‍टूबर यानी शुक्रवार को पाकिस्‍तान पर एक बड़ा फैसला लिया जाना है। पाकिस्‍तान को आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने में विफल रहने परफाइनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स (एफएटीएफ) की तरफ से डार्क ग्रे लिस्‍ट में डाला जा सकता है। अधिकारियों की मानें तो ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि आतंकियों के खिलाफ सही कार्रवाई न करने पर एफएटीएफ के सभी सदस्य पाकिस्‍तान को पूरी तरह से किनारे कर सकते हैं। पाक का डार्क ग्रे लिस्‍ट में आना यानी पहले से मुश्किल समय का और ज्‍यादा मुश्किल हो जाना होगा। पाकिस्‍तान पर इस फैसले का खासा असर पड़ने वाला है। यह असर पहले से ही खस्‍ताहाल हो चुकी पाक अर्थव्‍यवस्‍था को खत्‍म करने का काम करेगा।

क्‍या है डार्क ग्रे लिस्‍ट का मतलब

पाकिस्‍तान ने 27 में से सिर्फ छह बिंदुओं के तहत ही अपनी परफॉर्मेंस दर्ज कराई है। एफएटीएफ के नियमों के तहत डार्क ग्रे लिस्‍ट, ग्रे और ब्‍लैक लिस्‍ट के बीच की एक अहम कड़ी होती है। डार्क ग्रे में आने का मतलब है कि संबधित देश को कड़ी चेतावनी दी गई है कि वह अपने रवैये में सुधार कर ले। डार्क ग्रे लिस्‍ट तीसरे कदम से आगे का एक शब्‍द है और चौथे फेज में आता है। एफएटीएफ पेरिस में स्थित अंतर-सरकारी संस्‍था है। इस संस्‍था का काम गैर-कानूनी आर्थिक मदद को रोकने के लिए नियम बनाना है। इस संस्‍था ने पहले भी पाकिस्‍तान को चेतावनी दी थी कि अगर उसे इस लिस्‍ट में आने से बचना है तो फिर उसे आतंकियों को वित्‍तीय मदद देने वाली संस्‍थाओं के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। पाकिस्‍तान के अधिकारियों और कई राजनयिकों की मानें तो इस लिस्‍ट में आने के बाद पाकिस्‍तान की आर्थिक हालत चौपट हो जाएगी।

टूट कर बिखर जाएगा पाकिस्‍तान

पाकिस्‍तान के डार्क ग्रे लिस्‍ट में आने का मतलब इस देश को अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से कोई भी बेलआउट पैकेज या आर्थिक मदद नहीं मिल पाएगी। वर्ल्‍ड बैंक या फिर यूरोपियन यूनियन की तरफ से जो वित्‍तीय सहायता मिलती है, उस पर भी रोक लग जाएगी। पाक में बिजनेस करने वाली इंटरनेशनल कंपनियां, बैंक और उसे कर्ज देने वाली कंपनियां यहां पर इनवेस्‍ट करने से पहले सोचेंगी। पेरिस के इस फैसले के बाद विदेशी निवेश लाना टेढ़ी खीर होगा और इन सबके बाद टूटी हुई अर्थव्‍यवस्‍था पूरी तरह से खत्‍म हो जाएगी। पाकिस्‍तान को व्‍यापार को भी खासा नुकसान होगा।

आलू प्‍याज भी नहीं बेच पाएगा पाकिस्‍तान

विदेश लेनदेन और विदेशी निवेश तो प्रभावित होगा ही साथ ही पाकिस्‍तान की तरफ से होने वाले चावल, कपास, संगमरमर, कपड़े और प्‍याज जैसी चीजों के निर्यात में भी उत्‍पादकों को तगड़ा घाटा होगा। वहीं, अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में उसके बाकी के टेंडर्स पर भी असर होगा। ग्रे लिस्‍ट में आने के बाद दुनिया के उन बैंकों के साथ पाकिस्‍तान के संबंध बिगड़ेंगे जो पाकिस्‍तान को पैसे देते हैं। बैंकों को अपने लेन-देन में बड़ी रुकावट का सामना करना पड़ेगा और इसका असर सीधा संचालन पर पड़ेगा। इसकी वजह से ग्राहकों को करना पड़ेगा। यह कदम उस समय उठाया गया है अगले पांच माह के अंदर पाकिस्‍तान में चुनाव होने हैं। पाकिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था यानी जीडीपी दर को बढ़ाने का सपना देख रहे प्रधानमंत्री इमरान खान को डार्क ग्रे लिस्‍ट की वजह से बड़ा झटका लगेगा।

जिगरी चीन से भी नहीं पाएगा पैसा

चीन इस समय एफटीएफ का मुखिया है और पाकिस्‍तान को इस मुश्किल समय में चीन का साथ भी नहीं मिल पा रहा है। एफएटीएफ की डार्क लिस्‍ट में आने के बाद पाकिस्‍तान पर लोन डिफॉल्‍टर होने का खतरा पहले से दोगुना हो गया है। सबसे दिलचस्‍प बात है कि इस फैसले में चीन भी साथ है और चीन की ओर से पाकिस्‍तान को तगड़ा कर्ज दिया गया है। चीन-पाकिस्‍तान आर्थिक कॉरीडोर (सीपीईसी) के लिए चीन बड़ी मात्रा में पाकिस्‍तान में रकम निवेश कर रहा है। एफएटीएफ की ग्रे लिस्‍ट चीनी निवेश पर भी लगाम लगा सकती है। सीपीईसी के तहत चीन ने पाक में 60 बिलियन डॉलर की रकम निवेश की है और चीन का वन बेल्‍ट वन रोड इस प्रोजेक्‍ट का सबसे अहम हिस्‍सा है।

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