गंभीर रूप से घायल दो लोग अस्पताल मे भर्ती
विशेष प्रतिनिधि
इतिहास गलतियों से सबक लेने के लिए होता है, उन्हें दोहराने के लिए नहीं। लेकिन अपने देश, विशेषकर यूपी में मानो अंधा युग है। वाराणसी कैण्ट स्टेशन के सामने सपा राज के पाप धोने के लिए फिर से अति व्यस्त सड़क पर निर्माणाधीन फ्लाई ओवर में बजाय रात्रि, दिन मे काम करने का एक बार फिर खामियाजा उस आम जनता ने भुगता जो वरीयता मे अंतिम पायदान पर है और उसे भेड़ बकरी से ज्यादा नहीं समझा जाता। लगभग डेढ साल पहले इसी फ्लाईओवर पर भयानक हादसा दिन मे काम के चलते ही हुआ था और तब सरकारी फरमान जारी हुआ था कि काम रात मे किया जाय। मगर ऐसे आदेश ऊँची पहुँच रखने वाले ठकेदार ठेंगे पर रखते हैं। उन्होने फिर वही भयंकर भूल की और पिछले हादसे की तरह शुक्रवार की शाम चार बजे के आसपास फ्लाईओवर की शटरिंग भहरा कर गिर गयी। इससे अफरातफरी मच गयी। इस दुर्घटना मे कई लोगों के घायल होने की सूचना है। हालाँकि भाग्यवश किसी की मौत नहीं हुई है फिलहाल।

इस हादसे के चंद मिनट पहले ही गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत सपत्नीक श्री कृष्ण धर्मशाला से भारत माता मंदिर की ओर इसी रास्ते से होकर गुजरे थे।
गौरतलब है कि 16 मई 2018 को फ्लाईओवर की दो बीम गिरने से तब 15 लोगों की मौत हो गई थी।

इस फ्लाईओवर के निर्माण में शुरुआत से ही कई बार बाधाएं आई और कई बार हादसे भी हुए। 16 मई को हुई घटना में भी सुरक्षा के व्यापक इंतजाम नहीं किए गए थे। इसके चलते एक बार पुन: शुक्रवार को हादसा हो गया। सेतु निर्माण की ओर सुरक्षा की दृष्टि से टीआरबी के जवानों की डयूटी लगाई गई लेकिन यातायात जारी ही रहा। सुरक्षा के लिए यहां पर सौ पद है लेकिन मौके पर मात्र 20-25 कर्मचारी ही रहते हैं।

फ्लाईओवर के नीचे वाहन संचालन के साथ ही दुकानें भी लगी हैं। वहीं निर्माण के दौरान लापरवाही के कारण ही हादसे हो रहे हैं । इस हादसे में हालांकि दो लोग ही गंभीर रूप से घायल हैं। हादसे के तुरंत बाद घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया गया। मौके पर कई जनप्रतिनिधि भी पहुंचे और दुर्घटनास्थल का जायजा लिया। 16 मई 2018 को हुए हादसे के दोषी कई इंजीनियर अब तक जेल में ही है। हालांकि इसके बाद भी निर्माण में लगातार लापरवाही बरतने और काम मे अपेक्षाकृत तेजी न लाने के चलते भी दुर्घटना की संभावना लगातार बनी हुई थी।