विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल इस उपलक्ष्य में करेगा महायज्ञ

छह दिसम्बर को शौर्य दिवस का आयोजन रद

वाराणसी। विश्व हिंदू परिषद व युवा इकाई बजरंग दल आगामी 6 दिसंबर को शौर्य या विजय दिवस मनाने की जगह बाबा लाटभैरव मंदिर में महायज्ञ अनुष्ठान कराएगा।

बजरंग दल काशी महानगर के संयोजक निखिल त्रिपाठी ‘रुद्र’ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले पर निर्णय देने के बाद संगठन पदाधिकारियों ने विजय दिवस कार्यक्रम को रद कर बाबा लाटभैरव दरबार में महायज्ञ अनुष्ठान द्वारा शांति व सद्भाव का संदेश देने का फैसला किया है।

निखिल त्रिपाठी, संयोजक (बजरंग दल काशी महानगर)

बजरंग दल संयोजक निखिल ने कहा कि ‘सर्वोच्च न्यायालय से रामलला के पक्ष में आए निर्णय के बाद अब मंदिर निमार्ण का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इसीलिए छह दिसम्बर को विहिप के पदाधिकारियों ने शौर्य दिवस कार्यक्रम का कोई औचित्य नहीं रह गया है।’

बाबा लाटभैरव को न्यायाधीश की दी जाती है संज्ञा

निखिल ने बताया कि काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव है तो वहीं बाबा लाटभैरव न्यायाधीश के रूप में पूजे जाते हैं। पिछले साल बजरंग दल ने बाबा लाटभैरव के दरबार में अर्जी लगाकर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने की गुहार लगाई थी, जो स्वीकार कर ली गयी।

यहीं कारण है इस बार बाबा का अभिनन्दन आभार व्यक्त करने के लिए महायज्ञ अनुष्ठान कराया जाएगा।

बजरंग दल व प्रशासन के बीच फंसा पेंच

विहिप व बजरंग दल की ओर से बाबा लाटभैरव मंदिर में महायज्ञ अनुष्ठान कराने को लेकर जिला प्रशासन व बजरंग दल के बीच तनातनी अभी से शुरू हो गई है। लाटभैरव मंदिर शहर के अतिसंवेदनशील जगहों में आता है। प्रशासन ने शुक्रवार का हवाला देते हुए कहा कि जुमे की नमाज को देखते हुए महायज्ञ अनुष्ठान करने की बजाय बजरंग दल के सिर्फ 5 लोग सुबह ही शांतिपूर्ण तरीके से मंदिर में पूजा करके चले आये। वहीं बजरंग दल के संयोजक निखिल त्रिपाठी ने पूरे दिन महायज्ञ अनुष्ठान करा शाम में बाबा की महाआरती कराने की बात कहीं। उनका कहना है कि यह सद्भाव हेतु एक धार्मिक अनुष्ठान है। इससे किसी भी तरह की शान्ति भंग का अंदेशा नहीं है।

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