विशेष संवाददाता
सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले छह महीनों में ही साहसिक कदम उठाते हुए दो प्रमुख वादे पूरे कर दिए। पहला था धारा 370 की विदाई और दूसरा बीती रात नागरिकता संशोधन विधेयक संसद से पारित कराने लेना।नागरिकता संशोधन विधेयक विपक्ष के भ्रामक प्रचार के चलते काफी चुनौती पूर्ण समझा जा रहा था। मगर सरकार के प्रबंधकों ने कुशलतापूर्वक राज्यसभा में भी, जहाँ बहुमत नहीं था, इस विधेयक को उम्मीद से ज्यादा समर्थन के साथ पारित करा लिया।
विपक्ष से ज्यादा पूर्वोत्तर में इस मसले पर विरोध की चिंता एजेंसियों ने जताई थी। लेकिन सरकार ने इस विधेयक पर भी अपना दांव लगाया। अब गृहमंत्री अमित शाह की सबसे बड़ी चुनौती कश्मीर के साथ पूर्वोत्तर में भी स्थिति को सामान्य बनाए रखने की है।
गृहमंत्रालय ने पूर्वोत्तर खासकर असम में आंदोलन की स्थिति को देखते हुए करीब 70 अर्द्धसैन्य बलों की कंपनियां वहां भेजी है। गृहमंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकार की स्थिति पर पूरी नजर है। सरकार स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए कई कदम उठाए हैं। जानकारों का मानना है कि इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि सरकार ने बहुत ही उलझे हुए मसलों पर निर्णायक फैसले लेने की क्षमता दिखाई है। सरकार ने तेजी से फैसले किए हैं। गृहमंत्री शाह ने अपनी छवि के मुताबिक जोखिम से परहेज नहीं किया। लेकिन सरकार का फैसला कितना सही साबित हुआ इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। क्योंकि जम्मू कश्मीर में अभी भी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं है। मुख्यधारा के नेताओं की गिरफ्तारी की वजह से सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है।
पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में एनआरसी के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर विभिन्न समूहों का विरोध सामने आ रहा है। आशंका इस बात की जताई जा रही है कि अगर पूर्वोत्तर के समूहों की चिंताओं का समाधान न हुआ तो स्थानीय पहचान का मुद्दा बड़ा हो सकता है। वहां ये हिंदू – मुसलमान का मुद्दा नहीं है। स्थानीय विशिष्ट समुदाय अपनी पहचान और संसाधनों पर हक को लेकर चिंता जता रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि अब सरकार के सामने अगला बड़ा मुद्दा एनआरसी का है। गृहमंत्री शाह कह चुके हैं कि पूरे देश में एनआरसी लागू किया जाएगा। उन्होंने लोकसभा में कहा था कि एनआरसी आने वाला है। सूत्रों ने कहा, अगर नागरिकता संशोधन बिल पर सरकार सफल रही तो एनआरसी पर जल्द आगे बढ़ेगी। इसके लिए गृहमंत्रालय में होमवर्क चल रहा है। अलग अलग राज्यों की स्थिति का आकलन किया जा रहा