आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई- कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों की क्षमता का उपयोग करने के लिए डेटा एक बुनियादी बिल्डिंग ब्लॉक की स्थिति में है। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय ई-शासन प्रभाग (एनईजीडी) ने इस विचार पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। इसके तहत इसने हाल ही में एआई पर चर्चा (एआई संवाद) का आयोजन किया। इसमें पैनल के सदस्यों ने एआई के लिए गुणवत्तापूर्ण डेटा सेट तक पहुंच को सक्षम करने के लिए इसके महत्व और दृष्टिकोण पर चर्चा की।
इस सत्र की अध्यक्षता एनईजीडी के अध्यक्ष और सीईओ श्री अभिषेक सिंह ने की। वहीं, इस आकर्षक सत्र में विभिन्न पृष्ठभूमि के वक्ताओं ने हिस्सा लिया। इसमें सरकारी अधिकारी, एआई को लेकर उत्साही लोग, एआई उद्यमी, युवा और एआई नवाचार इकोसिस्टम को आगे बढ़ाने में डेटा की भूमिका को समझने के इच्छुक लोग उपस्थित थे। एआई पर चर्चा के इस सत्र के लिए पैनलिस्टों में फ्रैक्टल एनालिटिक्स के समूह सीईओ श्री श्रीकांत वेलमकन्नी, सिविक डेटा लैब्स के निदेशक और सह-संस्थापक श्री गौरव गोधवानी व अर्थपार्क के सह-संस्थापक और सीईओ श्री उमाकांत सोनी थे।
श्री अभिषेक सिंह ने अपनी शुरुआती टिप्पणी में राष्ट्रीय डेटा शासन ढांचे की नीति सहित गुणवत्तापूर्ण डेटा सेट तक पहुंच बढ़ाने के लिए भारत सरकार की कुछ प्रमुख पहलों का उल्लेख किया। इसके अलावा उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के लिए डेटा के महत्व को रेखांकित किया।
इस सत्र के प्रतिष्ठित पैनलिस्टों ने मौजूदा ओपन डेटा इकोसिस्टम, एआई के लिए गुणवत्तापूर्ण डेटासेट तक पहुंच को लेकर सामने आने वाली चुनौतियों, नवाचार के लिए डेटा के जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करने में विभिन्न हितधारकों की भूमिका और भारत के भविष्य के बारे में बात की। इस विषयवस्तु के बाद सत्र के दौरान हाल ही में जारी रिपोर्ट “अनलॉकिंग पोटेंशियल ऑफ इंडियाज ओपन डेटा” पर भी चर्चा की गई।
इससे पहले साल 2021 में नैसकॉम और मंत्रालय ने उद्योग भागीदारों के साथ भारत के ओपन गवर्नमेंट डेटा की क्षमता को खोलने के तरीके सुझाने के लिए डेटा कार्यबल का गठन किया था। इन भागीदारों में फ्रैक्टल, माइक्रोसॉफ्ट, इंफोसिस, आईडीएफसी संस्थान, टीसीएस और अमेजन शामिल हैं।
श्री श्रीकांत वेलमकन्नी, जिन्होंने डेटा कार्यबल की अध्यक्षता भी की थी, ने पिछले 6 महीनों में इसके कार्यों का एक अवलोकन किया। इसके अलावा उन्होंने उन प्रमुख जानकारियों को साझा किया, जिन्हें अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया था। उन्होंने ओपन सरकारी डेटा को नीतिगत प्राथमिकता बनाने के महत्व, उच्च- मूल्य वाले डेटासेट पर ध्यान केंद्रित करने, डेटा के अति-वर्गीकरण से बचने के लिए उचित डेटा वर्गीकरण नीतियों को लागू करने और अंतरराष्ट्रीय मानक व उपकरणों को अपनाने पर जोर दिया।
श्री गौरव गोधवानी ने ओपन डेटा प्लेटफॉर्म के निर्माण में अपने अनुभव और ओपन एक्सेस के तहत सोर्सिंग, क्यूरेटिंग व उच्च गुणवत्ता वाले डेटासेट तक पहुंच सुनिश्चित करने में सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की। उन्होंने भारत सरकार की सोच और जल्द शुरू होने वाले इंडिया डेटा प्लेटफॉर्म के बारे में विस्तार से बताया।
श्री उमाकांत सोनी ने उन कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों के बारे में बात की जिनका सामना आज उभरती हुई एआई कंपनियों और नवप्रवर्तकों को डेटा के संबंध में सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे बड़ी मात्रा में गुणवत्ता वाले डेटासेट तक पहुंच की कमी एआई समाधानों के व्यावसायीकरण व मानकीकरण के लिए एक अवरोधक के रूप में कार्य करती है। इसके अलावा उन्होंने भारत में एआई नवाचार इकोसिस्टम को आगे बढ़ाने के लिए अपनी सिफारिशें प्रदान कीं।
इस सत्र को यहां देखा जा सकता है:https://www.youtube.com/embed/-TivVP0ZpqY
एआई पर चर्चा श्रृंखला को भारत के पहले वैश्विक एआई शिखर सम्मेलन- सामाजिक सशक्तिकरण के लिए उत्तरदायी एआई (आरएआईएसई) के एक हिस्से के तहत शुरू किया गया है। मंत्रालय ने इसका आयोजन 2020 में किया था। भारत सरकार की इस तरह की पहल ने एआई पर एक बहुत ही जरूरी चर्चा शुरू की है। इससे समग्र आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र में कुछ सकारात्मक और ठोस सार्थक परिवर्तन होंगे।