नामदेव अंजना

उद्धव ठाकरे ने अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर अपना कार्यभार संभाल लिया है। लेकिन, इससे पहले उन्होंने कभी कोई प्रशासनिक दायित्व नहीं संभाला है. इसलिए ये सवाल उठ रहा है कि क्या वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर अपना काम सही ढंग से कर पाएंगे ?

हालांकि, उन्होंने पिछले कुछ सालों में जिस तरह से शिव सेना का नेतृत्व किया है और जिस तरह से शिव सेना के ज़रिए उन्होंने मुंबई नगर निगम को चलाया है, उससे उनकी कामकाजी शैैैैली का आकलन किया जा सकता है।

पिछले कुछ सालों से, शिव सेना ही मुंबई नगर निगम चला रही है। इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश अकोलकर कहते हैं, “उद्धव ठाकरे की प्रशासन पर पकड़ रही है. लेकिन कोई ये नहीं कह सकता है कि बीएमसी से मुंबई के निवासियों को फायदा हुआ है। उनका किसी प्रशासन से सीधा संपर्क नहीं रहा है। उन्होंने केवल अपनी पार्टी को चलाया है लेकिन वे कभी किसी पद पर नहीं रहे।”

“मुख्यमंत्री बनने से पहले शिवाजी पार्क और मातोश्री का हाल ही उनके लिए खेल का मैदान रहा है। उन्होंने इन दोनों खेल के मैदानो पर काफी अच्छा किया है. लेकिन इन मैदानों पर बल्ला भी उनका था, गेंद भी उनकी थी और अंपायर भी उनके थे। लेकिन अब उन्हें विधानसभा में बल्लेबाजी करनी होगी,  जहां बीजेपी के 105 गेंदबाज मौजूद होंगे। इसलिए वे मुख्यमंत्री या प्रशासक के तौर पर किस तरह से काम करेंगे, इसका आकलन लगाना मुश्किल है। उनका अपनी पार्टी पर नियंत्रण हो सकता है, लेकिन उन्होंने कभी मुंबई नगर निगम के काम काज में हिस्सा नहीं लिया।”

शिव सेना ने हमेशा भावनाओं की राजनीति की है. चाहे वो नगरनिगम का चुनाव रहा हो या फिर राज्य की राजनीति रही हो,शिव सेना हमेशा भावनात्मक मुद्दों के आधार पर राजनीति करती रही। यही वजह है कि माना जा रहा था कि बाला साहेब के निधन के बाद शिव सेना को चलाना चुनौतीपूर्ण होगा लेकिन आकोलकर के मुताबिक उद्धव ठाकरे ने इस चुनौती को बहुत आसानी से निभाया।

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