विशेष संवाददाता 

महाराष्ट्र में अजित पवार के साथ गठबंधन से सरकार बनाने के बाद बीजेपी के सामने विधान सभा में बहुमत साबित करने का बड़़ी चुनौती है। बीजेपी ने इसके लिए कोशिशें तेज कर दी हैं। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने महाराष्ट्र में ‘ऑपरेशन कमल’ को कामयाब बनाने के लिए ऐसे चार दिग्गज  नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है, जो एनसीपी, कांग्रेस या शिव सेना छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी को भरोसा है कि ये नेता जरूरी आंकड़ों का जुगाड़ कर लेंगे और राज्य की नई नवेली सरकार बरकरार रह जाएगी।

जिन नेताओं के कंधों पर ऑपरेशन कमल की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उनमें नारायण राणे, राधाकृष्ण विखे पाटिल, गणेश नाईक, बाबनराव पाचपुते प्रमुख हैं। नारायण राणे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और शिवसेना में रह चुके हैं। जुलाई 2005 तक वो विधान सभा में नेता विपक्ष भी थे लेकिन उसके बाद उन्होंने शिवसेना से नाता तोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। सितंबर 2017 में राणे ने कांग्रेस छोड़ कर अपनी पार्टी बना ली थी। बाद में 2018 में वो बीजेपी में शामिल हो गए थे।

राधाकृष्ण विखे पाटिल महाराष्ट्र चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए थे। ये कांग्रेस की अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इनके पिता भी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। बीजेपी में शामिल होने से पहले वो कांग्रेस विधायक दल के नेता थे।

गणेश नाईक ने 1990 के दशक में शिव सेना से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। बाद में 1999 में वे शरद पवार की पार्टी एनसीपी में शामिल हो गए। इस साल विधान सभा चुनाव से पहले  फिर पलटी मारते हुए वो बीजेपी में शामिल हो गए। उनकी राज्य में खेतीबारी करने वाले समुदाय पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। 2004 में गणेश नाईक ने एनसीपी उम्मीदवार के रूप में बेलापुर सीट से 3,24,706 वोट पाए थे। यह अबतक की सबसे बड़ी जीत है। इस रिकॉर्ड को अभी तक किसी ने नहीं तोड़ा है।

बाबनराव पाचपुते राज्य के कद्दावर नेता हैं। ये तीन बार राज्य के मंत्री रह चुके हैं। 1977 में जनता पार्टी से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले बाबनराव पाचपुते 1991-92 में राज्य के गृह मंत्री रह चुके हैं। इनके अलावा राज्य के आदिवासी विकास मामलों और वन मामलों के भी मंत्री रह चुके हैं। जनता पार्टी के बाद 1990-95 के बीच ये जनता दल से जुड़े रहे। इसके बाद पाचपुते 1995 से 99 तक कांग्रेस के साथ रहे। शरद पवार के कांग्रेस से अलग होने पर पाचपुते भी एनसीपी में आ गए। यहां वो 1999 से 2014 तक रहे। 2014 में इन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था।

Advertisements

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here