मुहर्रम इस्लामिक वर्ष का पहला महीना होता है। इस महीने की 10वीं तारीख को मनाया जाता है मुहर्रम जिसे आशूरा भी कहा जाता है। इस साल मुहर्रम 10 सितंबर को मनाया जा रहा है। ये इस्लामिक नए साल का पहला पर्व है। इसे शिया मुस्लिम समुदाय के लोग गम के रूप में मनाते हैं। इस दिन इमाम हुसैन और उनके अनुयायियों की शहादत को याद किया जाता है। पूरी दुनिया के मुसलमान मुहर्रम की नौ और दस तारीख को रोजा रखते हैं और मस्जिदों-घरों में इबादत करते हैं।

हजरत मुहम्मद के मित्र इब्ने अब्बास के मुताबिक हजरत ने कहा कि जिसने मुहर्रम की 9 तारीख का रोजा रखा, उसके दो साल के गुनाह माफ हो जाते हैं तथा मुहर्रम के एक रोजे का 30 रोजों के बराबर फल मिलता है। मोहर्रम महीने की 10वीं तारीख को ताजिया जुलूस निकाला जाता है। ताजिया लकड़ी और कपड़ों से गुंबदनुमा बनाया जाता है और इसमें इमाम हुसैन की कब्र का नकल बनाया जाता है। इसे झांकी की तरह सजाते हैं और एक शहीद की अर्थी की तरह इसका सम्मान करते हुए उसे कर्बला में दफन करते हैं।

साभार : जनसत्ता

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