इन्दिरा गांधी को अध्यक्ष बनाने पर डा. लोहिया ने कहा था – बाप होशियार ही नहीं मक्कार भी है

डा. रजनीकान्त दत्ता
वरिष्ठ चिकित्सक, पूर्व विधायक

जो कौमे अपने साथ,अतीत में हुए विश्वासघात और उसे करने वाले देवत्व का मुखौटा लगाए लोगों के पीछे के चेहरे के चाल चलन और कूटनीति को समझ नहीं पाते हैं, उनका वर्तमान तो दुष्प्रभावित होता है और भविष्य में इस भूल पर, दुख और
पछतावे के सिवा कुछ शेष नहीं रह जाता।

इस संदर्भ में मुझे बरबस राष्ट्रपिता महात्मा गांधी याद आते हैं। जिन्होंने जवाहरलाल नेहरू से अधिकांश मामलों पर नैतिक मतभेद होते हुए भी,पता नहीं क्यों उन्हें भारत की राजनीति में आगे बढ़ाया। नहीं तो जहां तक नेहरू जी के चाल चलन और चरित्र का सवाल था, वह निष्पक्षतः कहीं भी गरिमा पूर्ण नहीं था।

जवाहर लाल नेहरू – महात्मा गांधी, भावी भारतीय राजनीति में जीरो

1935 से 2014 तक का विभाजित भारतवर्ष का इतिहास साक्षी है, कि इस काल मे जो भी उसे खोना पड़ा उसके लिए राहु और केतु कौन थे ? यह भारत का हर देशभक्त जानता है।महात्मा गांधी कहते थे,” भारत का विभाजन मेरी लाश पर होगा,
और अगर भारत की स्वतंत्रता और गौ हत्या बंद करने के इन दो विकल्पों में मुझे एक विकल्प चुनना पड़ेगा तो मैं गौ हत्या पर पूर्ण निषेध को वरीयता दूंगा। अंग्रेजों के साथ,अंग्रेज़ियत भी चली जाए,मेरी हर कोशिश होगी कि भारत में एक ऐसे राम राज्य की स्थापना हो, जहां हिंदू-मुस्लिम- सिख-ईसाई सुख शांति और चैन से ही नहीं रहे, बल्कि भारतीय समाज के अंतिम व्यक्ति ,और उसके मौलिक अधिकारों का पूर्ण ध्यान रखा जाए।”

बापू जन गण मन को राष्ट्र गान बनाने के पक्ष में नहीं थे, नेहरू हैं जिम्मेदार

जब लोगों ने उनसे कहा है कि जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता……
……जय हे, जय हे।
जय-जय जय जय है।
जो 1911 के दिल्ली दरबार में ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम की स्तुति में गाया गया स्वागत गान है।जो 5 सर्गों में था,उसका प्रथम सर्ग है।
जिसका भावार्थ है,

“भारतीय जनता और उसके समूह के दिलो-दिमाग पर शासन करने वाले अधिनायक (विशेष नायक)डिक्टेटर और ब्रह्मा के समान भारत का भाग्य लिखने वाले भारत के भाग्य विधाता।
हे ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम आपकी जय हो,जय हो,जय हो ……जय,जय,जय, जय हो।

गांधी वस्तुतः इसे राष्ट्रगान बनाने के पक्ष में नहीं थे। उनकी मृत्यु के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू पर दबाव डालकर ब्रिटिश चाटुकार जवाहरलाल ने इसे राष्ट्रगान बना दिया। और आज भी यह हमारा राष्ट्रगान है। पिछले 72 वर्षों में हम भारतीयों को कंगाल करने और हम भारतीयों पर अमानुषिक अत्याचार करने के साथ ही अपमानित करने वाले अंग्रेजों का श्रद्धा और आदरपूर्वक स्तुति गान कर रहे हैं।

लानत है।
शर्म कीजिए।

मैं अपने अगले नरेशन में 1935 से लेकर 2014 तक का अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस नहीं-नहीं अखिल भारतीय नेहरू कांग्रेस और वर्तमान में गांधी वाड्रा कांग्रेस का असली इतिहास आपके सामने लाऊंगा।

किंतु इसके पूर्व आपको यह बताना चाहूंगा कि गांधीजी की इच्छा के विपरीत देश का विभाजन हुआ,गौ हत्या भी बंद नहीं हुई।और गांधी जी की यह इक्छा कि, कांग्रेस एक जनांदोलन है।जिसमे दक्षिण मार्गी,वाम मार्गी,मध्य मार्गी राजनेताओं का ही नही,बल्कि तटस्थ जनता की भी भागीदारी रही है।सत्ता हस्तांतरण के साथ इसका उद्देश्य पूरा हो गया है।अब इस आंदोलन को भंग कर देना होगा।और कभी भी इसे राजनीतिक पार्टी का स्वरूप नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन उनकी इक्छा और संकल्प के विरुद्ध सत्ता हस्तांतरण के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने धूर्ततापूर्वक वंशवादी भावी रणनीति के तहत उसे एक राजनीतिक पार्टी बनाकर उसका नाम अखिल भारतीय कांग्रेस रख दिया। सन 1959 में जब पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए अपने प्रभाव द्वारा सर्वसम्मति से उन्होंने श्रीमती इंदिरा गांधी जी को अखिल भारतीय कांग्रेस की अध्यक्षा घोषित किया और तब पत्रकारों ने उस समय के प्रखर समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया से इसके बारे में प्रतिक्रिया जाननी चाही तो डॉक्टर साहब ने कहा कि, “बाप होशियार ही नहीं मक्कार भी है प्रजातंत्र के चोर दरवाजे से भारतीय लोकतंत्र में वंशवादी, राजशाही की नींव डाल रहा है और हुआ भी यही”

फासिस्ट, नाजी विचारधारा के परिवार की इटालियन महिला बन गयी अध्यक्षा

फासिस्ट, नाजी विचाधारा की इटालियन महिला बन गयी अध्यक्षा

सारी विसंगतियों के बावजूद 2004 में विदेशी मूल की इटालियन महिला जिसका परिवार फासिस्ट,नाजी विचारधारा का था। वह भावनात्मक ब्लैकमेल कर अखिल भारतीय कांग्रेस की अध्यक्षा बन गई। और उसने अपने पुत्र का कांग्रेस के शहजादे के रूप में राज्याभिषेक किया गया। उसके निकम्मे और नक्कारे साबित होने पर,अपनी पुत्री प्रियंका वाड्रा जो गैर-भारतीय,विदेशी सांस्कृति में पली-बढी वर्तमान समय में एंग्लो स्कॉटिश मूल के वाड्रा परिवार की पुत्रवधू है, उसके राज्याभिषेक की तैयारी भी शुरू कर दी। और यह साजिश सुचारू रूप से हो सके,इसके लिए टाइम गैप भरने के लिए वर्तमान में खुद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की अध्यक्षा बन बैठी।

डा. रजनीकान्त दत्ता (वरिष्ठ चिकित्सक, पूर्व विधायक )

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