विशेष संवाददाता

वाराणसी। विहिप के राममंदिर निर्माण के लिए अयोध्या चलो आंदोलन में निहत्थे पहुंचे कारसेवकों को 30 अक्टूबर 1990 को मुलायम सरकार ने गोलियो से छलनी कर दिया था। यह विशुद्ध नरसंहार था। राममंदिर के नाम पर भून दिए गए इन कारसेवकों की आत्मा की शांति के लिए शिवसेना की तरफ से गंगा तट पर तर्पण-पिंडदान करने के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में मौजूद मां श्रृंगार गौरी मुक्त अभियान के लिए भी संकल्प सभा का आयोजन किया गया। धार्मिक मान्यता के अनुसार जिन पित्तरों के प्राण न्योछावर की तिथि नहीं होती उनका पितृपक्ष की अमावस्या (महालया) को पिंडदान किया जाता है। इस धार्मिक मान्यता के तहत पूर्वांचल के शिवसैनिको ने गंगा तट पर अयोध्या में शहीद ज्ञात व अज्ञात कारसेवकों का पिंडदान करने के साथ गंगाजल हाथ में लेकर  रामलला के मंदिर निर्माण के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर में मां श्रृंगार गौरी मुक्ति अभियान के लिए जान न्योछावर करने का भी संकल्प लिया।

शिवसेना के फायर ब्रांड नेता अरुण पाठक ने कहा कि जिस मुलायम सरकार ने अयोध्या में निहत्थे कारसेवकों का नरसंहार करते हुए कार्तिक पूर्णिमा पर सरयू को रक्त स्नान कराया था उसी पार्टी की सरकार ने काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में मौजूद मां श्रृंगार गौरी के मंदिर में श्रद्धालुओं के नियमित दर्शन पर रोक लगायी थी। इस रोक के खिलाफ शिवसेना आवाज उठाती रही है। इस आवाज को और मजबूती प्रदान करने के लिए हर-हर महादेव के उदघोष के साथ “आप भी आइए,  महादेव हम आएंगे,मां श्रृंगार गौरी को मुक्त कराएंगे का गंगाजल हाथ मे लेकर संकल्प किया।

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