रामधुन गा रहे कारसेवको की हत्या पूर्व नियोजित षड़यंत्र था

स्वीकारोक्ति के बाद भी मुलायम हत्या के आरोप मे गिरफ्तार क्यों नहीं ? क्या कर रहे हैं मोदी और योगी ?

पहले भाग मे आपने देखा कि मुलायम सिंह के परिन्दा भी पर नहीं मार सकता” के दावे को धता बताते हुए रामभक्तो ने 31 अक्टूबर 1990 को विवादित ढाँचे के ताले तोड कर रामलला के न सिर्फ दर्शन किये बल्कि प्रतीकात्मक कारसेवा भी की थी। बदले की भावना से धधक रही सपा सरकार ने कैसे लिया इन्तकाम ?
देखिए और सुनिए इस अंतिम कड़ी मे दिल दहला देने वाली दास्तान जिसका यह नाचीज साक्षी रहा। कैसे युवा कोठारी बंधुओं सहित बेकसूर कारसेवक पांच मिनट के भीतर गोली से छलनी कर दिए गए। अयोध्या मे कार्तिक पूर्णिमा पर जबरदस्त मेला लगता है और इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु सरयू मे डुबकी लगाते हैं।लेकिन दो नवम्बर 1990 की उस मनहूस कार्तिक पूर्णिमा पर सरयू को स्वयं रक्त स्नान करना पड़ा। क्योंकि यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने वोट बैंक की खातिर पूर्व नियोजित षड़यंत्र के तहत समुदाय विशेष के अर्धसैनिक बल की तैनाती इस नरसंहार को अंजाम देने के लिए ही की थी।
हैरत तो इस बात की है कि मुलायम सिंह की इस स्वीकारोक्ति के बावजूद कि देश की एकता के लिए उन्होंने गोली चलवाने के आदेश दिए थे और बीस क्या 30 जानें भी चली जाती तो फर्क नही पड़ता, केन्द्र मे मोदी और यूपी मे योगी की एनडीए सरकारों के बावजूद इस शख्स को सामूहिक नरसंहार के आरोप मे अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ?
पूछती है देश की धर्म पारायण जनता ?

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