काशी में संगीत के सुरों से जटिल रोगों का इलाज करेंगे मैसूर वाले स्वामीजी
अवधूत दत्त पीठम के पीठाधीश्वर डॉ. गणपति सच्चिदानंद खोलेंगे क्लीनिक
गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में स्वामीजी के नाम दर्ज हैं नौ अनूठे रिकार्ड
विजय विनीत
वाराणसी। मैसूर के डॉ. गणपति सच्चिदानंद स्वामीजी अब काशी में भारतीय संगीत के सुरों से जटिल बीमारियों का इलाज करेंगे। ये वही स्वामीजी हैं जिन्होंने अनूठे प्रयोग और अनुसंधान के चलते गिनीज बुक आफ रिकार्ड में नौ मर्तबा अपना नाम दर्ज कराया है। अवधूत दत्त पीठम के पीठाधीश्वर गणपति सच्चिदानंद इस समय काशी में हैं। इनके सानिध्य में विश्व कल्याण की कामना के लिए चेतसिंह किला के मैदान में अति रूद्र यज्ञ किया जा रहा है।
वाराणसी के केदारघाट में डा.सच्चिदानंद ने अवधूत दत्त पीठम की शाखा खोली है। इसी आश्रम में संगीत की प्राचीन विधा-राग रागिनियों के जरिए जटिल बीमारियों से इलाज भी किया जाएगा। मैसूर में स्वामीजी इस तरह का क्लीनिक खोल चुके हैं। इनका मानना है कि जटिल रोगों की तकलीफ या रोग से निजात पाने के लिए गीत-संगीत एक कारगर उपचार पद्धति है। कुछ राग या रागों का मिश्रण ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, अस्थमा और इसी तरह के जटिल रोगों में अचूक उपचार साबित हो रहे हैं। स्वामीजी ने विभिन्न रोगों के लिए तमाम संगीत रचनाएं तैयार की हैं। इन्हें जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
स्वामीजी कहते हैं कि भारत में संगीत एक योग प्रणाली की तरह है, जो मानव जीव पर कार्य करती है। यह आत्मज्ञान को जागृत और विकसित भी करती हैं। मधुर लय भारतीय संगीत का प्रधान तत्व है। राग का आधार, मधुर लय है। भारतीय संगीत के कई तरह के राग शरीर की तंत्रिका प्रणाली से संबंधित रोगों के इलाज में प्रभावी और अचूक हैं। उन्होंने बताया कि राग भारतीय संगीत की आधारशिला है। इसके अन्?तर्निहित स्?वर-लय, रस-भाव अपने विशिष्?ट प्रभाव से व्?यक्ति के मन-मस्?ितष्?क को प्रभावित करता है। जिस प्रकार हर रोग का संबंध किसी ना किसी ग्रह विशेष से होता है। उसी प्रकार संगीत के हर सुर व राग का संबंध किसी ना किसी ग्रह से अवश्य होता हैं। यदि किसी इनसान को किसी ग्रह विशेष से संबन्धित रोग हो और उसे उस ग्रह से संबंधित राग,सुर अथवा गीत सुनाया जाए तो जातक विशेष जल्दी ही स्वस्थ हो जाता हैं। स्?वर और लय की भिन्?न-भिन्न प्रक्रिया उसकी शारीरिक क्रियाओं, रक्?त संचार, मांसपेशियों, कंठ ध्?वनियों आदि में स्?फूर्ति उर्जा उत्?पन्?न करते हैं और व्?याधियों को दूर करते हैं।
यूं तो संगीतार्षि तुम्?बरू को दुनिया का पहला संगीत चिकित्?सक माना जाता है। उन्?होंने अपनी पुस्?तक संगीत-स्?वरामृत में उल्?लेख किया है कि ऊंची और असमान ध्?वनि का वात पर, गम्?भीर व स्?िथर ध्?वनि का पित्त पर और कोमल व मृदु ध्?वनियों का कफ के गुणों पर प्रभाव पड़ता है। यदि सांगीतिक ध्?वनियों द्वारा इन तीनों को संतुलित कर लिया जाए तो बीमारियों की सम्?भावनाएं ही खत्?म हो जाएंगी। डॉ. गणपति सच्चिदानंद स्वामीजी के मुताबिक हृदय रोग के उपचार में राग दरबारी, अनिद्रा के लिए राग भैरवी, एसिडिटी के लिए राग खमाज रामबाण साबित होता है। राग जय जयवंती कमजोरी दूर करता है। याद्दाश्त के लिए राग शिवरंजनी और चिड़चिड़ापन दूर करने के लिए राग पीलू, डिप्रेसन के लिए राग बिहाग व राग मधुवंती सुनना लाभदायक होता है। दुनिया भर में अवधूत दत्त पीठम के सौ से अधिक आश्रम हैं। विदेशों में 16 भारत के 84 आश्रमों में भारतीय संगीत के रागों से जटिल बीमारियों का उपचार करने की योजना है। स्वामीजी का लक्ष्य समूची दुनिया को रोगों से मुक्त करना है।
यहां पक्षी सीखते हैं मंत्र
और भगवान की पूजा
75 वर्षीय डॉ. गणपति सच्चिदानंद के मैसूर स्थित इनके आश्रम में 468 प्रजाति के करीब 2100 रंग-बिरंगे पक्षी हैं। पक्षी प्रेम ने भी इनका नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में जोड़ा है। ये दुनिया भर से अलग-अलग प्रजातियों की चिड़िया अपने आश्रम में लाते हैं और उनकी देखभाल करते हैं। इतना ही नहीं, वो बीमार, घायल और भटके हुए पक्षियों को भी अपने आश्रम में पनाह देते हैं। कुछ साल पहले वो वेनेजुएला के एंजल फॉल घूमने गए थे जहां उनका पैर फिसल गया और करीब 100 फीट नीचे गिर गए। जब उन्हें होश आया तो उन्होंने अपने आपको चिड़ियों के बीच पाया। लगा कि जान बचाने में चिड़ियों की भूमिका है। भारत आए तो आश्रम में चिड़ियाघर बनाने में जुट गए।
सच्चिदानंद स्वामी जी पक्षियों को अच्छा खान-पान और इलाज की सुविधा देने के साथ-साथ भगवान की पूजा करना, मंत्र बोलना, बातें करना और डिसिप्लिन में रहना भी सिखाते हैें। यही वजह है कि जितना प्यार स्वामी जी इन पक्षियों को देते हैं उससे कहीं ज्यादा प्यार यहां के पक्षी स्वामी जी से करते हैं और इन्हें अप्पा जी कह कर बुलाते हैें। इतनी बड़ी जगह होने की वजह से पक्षी यहां आसानी से रह पाते हैं, बोल पाते हैं, और मौज मस्ती करते हुए समय बिताते हैं। चारों तरफ खूबसूरत रंग बिरंगी पक्षियों की आवाज गूंजती है। यह जगह रिओ मूवी के सीन की तरह नजर आती है। शायद पूरी दुनिया में इंसानों द्वारा बनाई गई ऐसी कोई दूसरी जगह नहीं है, जहां इतने सारे पक्षियों की प्रजाति एक साथ पाली जा रहे हो। इसलिए इस जगह का नाम गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। इतना ही नहीं अकेले स्वामी जी के पास नौ अलग-अलग गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड हैं।