सरकार को कांग्रेस का बाहर से सैद्धान्तिक समर्थन, अभी तक समर्थन पत्र नहीं दिया

विशेष संवाददाता

मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत से एक बड़ी खबर है। शिवसेना का समर्थन पत्र लेकर सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए विधायक दल के नेता एकसथ शिन्दे के साथ आदित्य ठाकरे ने राजभवन पहुँच कर राज्यपाल से मुलाकात की । इस प्रकार यह तय हो गया है कि महाराष्ट्र में अबकी बार बनेगी मौकपरस्त सरकार और मुख्यमंत्री होंगे शिवसेना प्रमुख स्वर्गीय बाल ठाकरे के सुपुत्र उद्धव ठाकरे। यह पहला अवसर है जब ठाकरे परिवार सीधे सीधे सरकार में भागीदारी करने जा रहा है और वह भी बतौर मुख्यमंत्री।

महाराष्ट्र के हालिया विधानसभा चुनाव में सीटों के हिसाब से चौथी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के पास अब राज्य में गैर भाजपा सरकार के गठन की चाबी थी। लंबे समय से अपनी सहयोगी रही भाजपा के बिना सरकार बनाने जा रही शिवसेना ने सोमवार को कहा कि वह कांग्रेस और राकांपा दोनों से समर्थन के लिए वो आधिकारिक संवाद का इंतजार कर रही थी। कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि वह सरकार में शामिल न होकर उसे बाहर से सैद्धान्तिक समर्थन देगी। फिलहाल उसने समर्थन पत्र अभी तक नहीं दिया है। इस प्रकार अब शिवसेना इस नये गठबंधन के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाएगी और मुख्यमंत्री उसी का होगा। उद्धव ठाकरे का नाम समाचार मिलते तक सबसे आगे चल रहा था।

गौरतलब है कि राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा ने पर्याप्त संख्या बल नहीं रहने के कारण सरकार बनाने के दावे से पीछे हटने का फैसला किया था। इसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को न्यौता दिया। मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना का भाजपा के साथ टकराव चल रहा था। भाजपा (105) के बाद 56 विधायकों के साथ 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है।

गठबंधन के दोनों सहयोगियों के बीच गतिरोध को देखते हुए कांग्रेस और राकांपा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गयी थी। राकांपा ने 54 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि कांग्रेस के पास 44 सीटें हैं। राकांपा ने कहा कि उसका कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन है इसलिए गैर भाजपा सरकार के गठन के लिए वह सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी की आधिकारिक घोषणा के बाद ही कोई फैसला करेगी। बाद मे उसने औपचारिक रूप से समर्थन कर दिया।

इसके पूर्व सेना के वरिष्ठ विधायक प्रताप सरनाईक ने कहा, ‘‘शिवसेना के सभी विधायकों ने सरकार गठन के दावे के हमारी पार्टी के प्रस्ताव पर दस्तखत किये है। हालांकि हम राकांपा और कांग्रेस के समर्थन के लिए आधिकारिक संवाद का इंतजार कर रहे हैं।’’

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने सोमवार को सुबह कहा था कि यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि राज्य के लोगों की बदहाली को देखते हुए विकल्प के बारे में सोचें। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस से आधिकारिक पत्र मिलने के बाद संयुक्त रूप से घोषणा की जाएगी।’’

महाराष्ट्र के लिए एआईसीसी के प्रभारी महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे ने नई दिल्ली में कहा कि पार्टी महाराष्ट्र के कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ विकल्प की संभावना पर चर्चा करेगी । उन्होंने कहा , ‘‘हम आज शाम चार बजे अपने फैसले की घोषणा करेंगे।’’ महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल शनिवार नौ नवंबर को समाप्त हो गया।

कांग्रेस ने समर्थन की घोषणा का पत्र नहीं सौपा। सैद्धांतिक समर्थन ही दिया है। यदि वह लिखित समर्थन नहीं देती तब सेना की यह अल्पमत की सरकार होगी। देखने वाली बात तो यह है कि तब सदन में बहुमत साबित करने के पहले कांग्रेस मोलभाव करेगी ? कुछ भी हो मगर सेना ने इस कदम से अपने समर्थकों को अच्छा संदेश नहीं दिया है। इसी के साथ उसकी हिन्दुत्व की राजनीति का भी एक बार तो अंत हो ही गया।

शिवसेना ने महामहिम राज्यपाल से दो दिन का समय मांगा है।

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