उत्सव मिश्र
अंततः इस बुजकशी के खेल का अंत हुआ , शायद अब प्रजातंत्र की जीत हो ,हम अब यह उम्मीद ही कर सकते है।
धन्यवाद अजित पवार का जिन्होंने एक कदम आगे बढ़कर कम से कम इतने दिन से चल रहे सत्ता की नोच खसोट के गंदे खेल का अंत किया ।
तमाशा बना कर रख दिया आम जनता के द्वारा दिये गए विश्वास और सहमति का इन गिद्धों ने , क्या नहीं हुआ इन सब में , पुत्र मोह के लिए जनता को दिये गए आश्वासन और जिनकी वजह से कुछ सीट पर आधिपत्य मिला उसी जनता और पार्टी से धोखा शुरू कर दिया ।
उधम ठोकर के पिता जी ने सावर्जनिक रूप से जिस लुटेरे परिवार का सैद्धान्तिक बहिष्कार किया और उसी पिता की वजह से इनकी पहचान बनी उसी पुत्र ने पिता के सिद्धान्तों को तार तार कर धूल में उड़ा दिया । सफाई के लिए पिता का प्रेम भी उस परिवार के लिए दर्शाया , या तो ये मूर्ख नहीं महामूर्ख हैं और या ये समझते हैं कि जनता मूर्ख है । इन महाशय ने सब से भीख मांगकर देख ली पर सबने मजे लेकर किनारा किया । फिर आयी बात बिचैलियों की जो सूत्र तैयार कर रहे थे सत्ता भोग करने का । अजित पवार जी ने जो किया वो कोई भी समझदार नागरिक करता ।।
आगे देखिये इन बिचैलियों की ओर से और क्या दिखाया जाने वाला है ।। पर अभी के लिए ओम शांति , उधम ठोकर , और शरारत पवार ।
उत्सव मिश्र